Vidyarthi aur Anushasan par Nibandh 400 words me || class 10th

vidyarthi aur anushasan par nibandh// अनुशासन विद्यार्थी के जीवन का एक अनिवार्य अंग है जो उसके भविष्य को उज्ज्वल बनाता है। अगर विद्यार्थी अनुशासन अपनाएंगे तो वे न केवल शिक्षा में बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफल होंगे।

Vidyarthi aur Anushasan par Nibandh

vidyarthi aur anushasan par nibandh

vidyarthi aur anushasan par nibandh 400 words ||

विद्यार्थी और अनुशासन

अनुशासन से अभिप्राय, अनुशासन का महत्त्व, अनुशासनहीनता का कारण, निष्कर्ष।

अनुशासन से अभिप्राय :-

अनुशासन जीवन की नियंत्रित व्यवस्था है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में और हर मनुष्य में अनुशासन का होना वांछित है। विद्यार्थियों में अनुशासन की अनिवार्यता है। इसके अभाव में भाव-प्रवण, अपरिपक्व विद्यार्थी अपने श्रेय पथ से भटक सकते हैं।

अनुशासन का महत्त्व :-

विद्यार्थी-जीवन  जीवन का ऊषाकाल है। यहाँ से ज्ञान की रश्मियाँ फूटकर सम्पूर्ण जीवन को अलोकित करती हैं। जीवन के निर्माण-काल में अगर अनुशासनहीनता हो तो भावी जीवन के रंगीन सपने पूरे नहीं हो पाते हैं। जीवन के इस काल में विद्यार्थियों के जो संस्कार बनेंगे वे स्थायी हो जाएगे। अतः सावधानी की अत्यन्त आवश्यकता है। स्पष्ट है कि भावी जीवन की आधारशिला दृढ़ हो।

अनुशासनहीनता का कारण :-

आज विद्यार्थी-जीवन की जो दशा है उसके लिए समाज का कलुषित वातावरण उत्तरदायी है। विद्यार्थी जन्मना बेतरतीब और अनुशासनहीन नहीं होते। वे अपने परिवेश की उपज हैं। आज की शिक्षा प्रणाली कम दूषित नहीं है। यह प्रणाली चरित्र-निर्माण, उच्च संस्कार और उच्चतर जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए प्रयास नहीं करती है। अध्यापकों के आचरण में जीवन के महान गुण दिखाई नहीं पड़ती हैं। फिर विद्यार्थियों पर किनके गुणों का प्रभाव पड़े ? विद्यार्थियों के सम्मुख त्याग, तपस्या, सदाचार और उच्च जीवन मूल्यों का कोई निदर्शन नहीं मिल पाता है। उनके गुरु आदर्श जीवन के उदाहरण प्रस्तुत कर नहीं पाते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि शिक्षा प्रणाली, पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध, दूरदर्शन एवं चलचित्र सब विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता के कारक तत्त्व हैं। दूरदर्शन के चलते सांस्कृतिक प्रदूषण एवं चलचित्रों के कारण अपराधीकरण को बल मिल रहा है। इन कारणों से नवयुवकों में रुचि विकृति पैदा हो रही है। हमारे देश की दलगत राजनीति ने भी नवयुवकों को गुमराह किया है। हर दल अपने स्वार्थ की पूर्ति में युवा समाज का अनुचित दोहन कर रहा है। छात्र समाज भी अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रति निष्ठा के कारण विभक्त हैं। इन कारणों से पहले की तुलना में अनुशासनहीनता बढ़ी है।

उपसंहार :-

विद्यार्थियों में बढ़ती अनुशासनहीनता देश के भविष्य के लिए गंभीर खतरा है। इससे सामाजिक शांति भंग होगी और अपराधमूलक घटनाओं में वृद्धि होगी। दिशाहीन युवा-समाज अराजकता पर उतर आएगा। अतः उन्हें अनुशासित करने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे। बहुमुखी प्रयास होने पर ही विद्यार्थियों में अनुशासन बना रहेगा। स्वयं विद्यार्थियों को भी अनुशासन की आवश्यकता समझते हुए आवश्यक कदम उठाने होंगे। जिस पीढ़ी पर देश के भविष्य का दारोमदार है उसे स्वस्थ एवं संयत बनाना ही होगा।

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