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Toggleclass 9 science chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा
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Class 9 Science Jac Board Question Answer chapter 14 . Hindi Medium के छात्रों के लिए Hindi में कक्षा 9 विज्ञान Ncert पुस्तक समाधान के सभी अध्याय नवीनतम CBSE, JAC और NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है |
प्राकृतिक सम्पदा : Class 9 Science Jac Board Solution
class 9 science chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा
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JAC Board Solution For Class 9th Science Chapter 14 : नोट्स
अध्याय 14 : प्राकृतिक सम्पदा ( Natural Resources )
♦ जीवमंडल:–जीवन को आश्रय देने वाला पृथ्वी का घेरा जहाँ वायुमंडल स्थलमंडल तथा जल मंडल एक दुसरे से मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं उसे जीवमंडल कहते हैं |
♦ जीवमंडल के भाग:-
- वायुमंडल (Atmosphere)
- स्थलमंडल (Lithosphere)
- जलमंडल (Hydrophere)
♦ वायुमंडल (Atmosphere):- वायु जो पूरी पृथ्वी को कंबल के भांति ढंके रहती है वायुमंडल कहलाती है |
♦ स्थलमंडल (Lithosphere):- पृथ्वी के सबसे बाहरी परत को स्थलमंडल कहते हैं |
♦ जलमंडल (Hydrophere):- पृथ्वी के सतह का लगभग 75% भाग पर पानी है , समुंद्र , नदियाँ , झीलों , तालाबों और अन्य जलाशयों को सम्मिलित रूप से जलमंडल कहते हैं |
जैवमंडल(Biosphere):-
- सभी जीव
- सभी निर्जीव
◊ सभी जीव :- जैव घटक ( Biotic Component) – पेड़ – पौधें एंव जीव – जंतु
◊ सभी निर्जीव:- अजैव घटक (Abiotic Component)- वायु , मृदा , जल , धुप
♦ जैव घटक ( Biotic Component):- जीवमंडल के सभी सजीवों को जैवघतक कहा जाता है | जैसे- पेड़ – पौधे , जंतु एंव सूक्ष्मजीव आदि |
♦ जैव घटक (Abiotic Component):- जीवमंडल के वायु , जल और मृदा आदि निर्जीव घटकों को अजैव घटक कहा जाता है |
♦ पृथ्वी पर जीवन के लिए उत्तरदायी कारक :-
- वायु
- तापमान
- पानी
- भोजन
♦ वायु के घटक (The Components of Air) :- वायु कई गैसों जैसे नाइट्रोजन , ऑक्सीजन , कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प का मिश्रण है | वायु में नाइट्रोजन 78% और ऑक्सीजन 21% होते हैं | कार्बन डाइऑक्साइड बहुत कम मात्रा में वायु में होती है | हीलियम , नियाॅन , आर्गन और क्रिप्टान जैसे उत्कृष्ट गैसें अल्प मात्रा में होती है |
♦ पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित रखने में वायुमंडल की भूमिका:
◊ वायु ऊष्मा का कुचालक है। वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्षभर लगभग नियत रखता है।
◊ वायुमंडल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है। और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है।
♦ CO2 को स्थिर करने की विधियाँ:
कार्बन डाइऑक्साइड दो विधियों से स्थिर होती है:
हरे पेड़ पौधे सूर्य की किरणों की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज में बदल देते हैं।
- बहुत-से समुद्री जंतु समुद्री जल में घुले कार्बोनेट से अपने कवच बनाते हैं।
♦ वायु प्रवाह (पवन) के कारण:- स्थल और जलाशयों के ऊपर विषम रूप में वायु के गर्म होने के कारण पवने उत्पन्न होती हैं। स्थल के ऊपर की वायु तेजी से गर्म होकर ऊपर उठना शुरू करती है और ऊपर उठते ही वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होने लगता है। एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र में वायु की गति पवनों का निर्माण करती है। पृथ्वी के विभिन्न भागों का तापमान, पृथ्वी की घूर्णन गति एवं पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ पवन को प्रभावित करने वाली कारकें हैं।
♦ बादलों का निर्माण:- दिन के समय जब जलीय भाग गर्म हो जाते हैं, तब बहुत बड़ी मात्रा में जलवाष्प बन जाती है। जलवाष्प की कुछ मात्रा विभिन्न जैविक क्रियाओं के कारण वायुमंडल में चली जाती हैं। यह गर्म वायु के साथ मिलकर ये ऊपर की ओर उठ जाती है। ऊपर जाकर ये फैलती हैं और ठंठी हो जाती हैं।
♦ वायुमंडल कंबल की तरह कार्य करता है:- वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्षभर लगभग नियत रखता है। वायुमंडल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है। यही कारण है कि पृथ्वी का वायुमंडल कंबल की तरह कार्य करता है।
♦ संवहन धाराएँ उत्पन्न होने के कारण:- स्थलीय भाग या जलीय भाग से होने वाले विकिरण के परावर्तन तथा पुनर्विकिरण के कारण वायुमंडल गर्म होता है। गर्म होने पर वायु में संवहन धाराएँ उत्पन्न होती है।
◊ समुद्री पवनों का बहना:
स्थल के ऊपर की वायु तेजी से गर्म होकर ऊपर उठना शुरू करती है और ऊपर उठते ही वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होने लगता है।
♦ प्रदुषण (Polution):- प्राकृतिक संसाधनों का दूषित होना प्रदुषण कहलाता है।
प्रदुषण के प्रकार:-
- वायु प्रदुषण (Air Polution):- वायु में हानिकारक पदार्थों की वृद्धि को वायु प्रदुषण कहते हैं।
- जल प्रदुषण (Water Polution):- हानिकारण पदार्थों या अपशिष्टों का जल में मिल जाना जल प्रदुषण कहलाता है।
- भूमि प्रदुषण (Soil Polution):- मृदा के गुणवता को कम करने वाले अवांछित तत्व या विषैले पदार्थों का मृदा में उपस्थिति भूमि प्रदुषण कहलाता है।
♦ परदुषण के प्रकार:-
- वायु प्रदुषण
- जल प्रदुषण
- भूमि प्रदुषण
1. वायु प्रदुषण:-
- ग्रीन हाउस प्रभाव
- ओजोन परत ह्रास
- अम्लीय वर्षा
2. जल प्रदुषण :-
- रासायनिक प्रदूषक
- घरेलु प्रदूषक
- मनुष्य एंव जंतुओं का अपशिष्ट
3. भूमि प्रदूषक:-
- उद्धोगों द्वारा
- घरेलू अनिम्नकरणीय पदार्थों द्वारा (पोलीथिन , प्लास्टिक )
- कृषि द्वारा – (a) कीटनाशक (b) पीडक नाशक
♦ वायु प्रदूषकों के नाम:- कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड सल्फर के ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, फ्लोराइड, सीसा, धुल के कण आदि
वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव:-
- मनुष्यों में – श्र्वसन और गुर्दे की बीमारी, उच्च रक्तचाप आँखों में जलन , कैंसर
- पौधों में कम वृद्धि क्लोरोफिल की गिरावट पत्तियों पर रंग के धब्बे
♦ स्मॉग (Smog):-
- वायु में धुंवा एंव धुल के मिश्आरण को स्मोग कहते हैं।
- यह वायु प्रदुषण का ही एक प्रकार है जहाँ अधिक वायु प्रदुषण होता है (खासकर शहरों में) स्मोग दिखाई देता है |
♦ धूम कोहरा :-
वायु या कोहरे में प्रदूषकों का भारी मात्रा में उपस्थिति ह्श्यता (Visibility) को कम करता है. इसे धूम कोहरा कहते है।
वायु में धूम कोहरा की उपस्थिति वायु प्रदूषण की ओर संकेत करता है।
सदियों में वायु के साथ जल भी संचलित होता है तथा उसके साथ कुछ हाइड्रोकार्बन से बने प्रदूषक भी मिले होते है।
♦ प्रदूषण के लिए उत्तरदायी मनुष्य की गतिविधियां:-
जीवाश्म ईंधनों का उपयोग वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है ये वायु में कार्बन डाइऑक्साइड , सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड जैसे प्रदूषकों को छोड़ते है।
- वाहनों द्वारा निकलने वाला धुआं प्रदुषण फैलाता है।
- कारखानों से निकलने वाला विषैला धुआं |
♦ अम्लीय वर्षा:- जीवाश्म ईंधन जब जलते हैं यह ऑक्सीकृत होकर सल्फर- डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड गैसें बनाती हैं ये गैसें वायुमण्डल में मिल जाती हैं। वर्षा के समय यह गैसें पानी में घुल कर सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल बनाती हैं, जो वर्षा के साथ पृथ्वी पर आता है, जिसे अम्लीय वर्षा कहते हैं।
♦ ग्रीन हाउस प्रभाव (Green House Effect):- वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जलवाष्प आदि पृथ्वी से परावर्तित होने वाली उष्मीय प्रभाव वाली अवरक्त किरणों को अवशोषित कर लेती है जिससे वायुमंडल का सामान्य तापमान बढ़ जाता है। वायुमंडल के हो जाने को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते है |
♦ ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण:- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन और जलवाष्प आदि द्वारा सूर्य के अवरक्त किरणों को अवशोषित करना।
♦ ग्रीन हाउस प्रभाव के दुस्प्रभाव:-
- ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ जाता है। + वैश्विक ऊष्मीकरण होता है।
- पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि होती है।
- चोटियों पर जमी बर्फ ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण वर्ष भट पिघलती रहती है।
♦ ग्लोबल वार्मिंग / वैश्विक उष्मीकरण (Global Warming):- वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (कार्बन डाइआक्साइड, मैथैन) की निरंतर वृद्धि हो रही है जो सूर्य से आने वाले उष्मीय विकिरण को अवशोषित कर लेते है। चूँकि हमारा वायुमंडल कंबल की भांति कार्य करता है यह अवशोषित उष्मा को वायुमंडल से बाहर नहीं जाने देता, परिणामस्वरूप विश्व का तापमान निरंतर बढ़ रहा है। जिसे वैश्विक ऊष्मीकरण या ग्लोबल वार्मिंग कहते है।
♦ वैश्विक उष्मीकरण के परिणामः-
- बाढ़ एवं सूखा का प्रकोप ।
- ग्लेशियर पिघलने से समुद्र जल स्तर में वृद्धि।
- दैनिक तापांतर में वृद्धि।
♦ ओजोन परत के हास होने के कारण (Reason of Ozone depletion):-
- ऐटोसॉल या क्लोटो- फ्लोटो-कार्बन (CFC) की क्रिया के कारण
- सुपरसोनिक विमानों में ईंधन के दहन से उत्पन्न पदार्थ
- और नाभिकीय विस्फोट भी ओजोन परत के हास होने के कारण है-
♦ प्रदुषण: जल प्रदूषण:
जल प्रदुषण
पृथ्वी पर जल की उपस्थितिः-
- पृथ्वी की सतह के लगभग 75 % भाग पर पानी विद्यमान है।
- यह भूमि के अन्दर भूमिगत जल के रूप में भी पाया जाता है।
- अधिकांशतः जल के स्रोत हैं सागर, नदियाँ, झरने एवं झील।
- जल की कुछ मात्रा जलवाष्प के रूप में वायुमण्डल में भी पाई जाती है।
♦ जल प्रदुषण का कारण:-
- जलाशयों में उद्योगों का कचरा डालना।
- जलाशयों के नजदीक कपड़े धोना या माल-मूत्र डालना ।
- जलाशयों के अवांछित पदार्थ डालना।
♦ जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी मनुष्यों के क्रियाकलापः-
- घर एवं कारखानों (कागज उद्ध्योग ) द्वारा छोड़ा गया विषैला एवं रसायन युक्त पानी।
- कृषि कार्य में उपयोग होने वाले पीड़कनाशी या उर्वरक आदि का जलशयों में मिल जाना।
- नदियों में मरे हुए जीवों को प्रवाहित करना आदि।
♦ सभी जीवों को जल की आवश्यकता होती है क्योंकिः-
- सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
- सभी प्रतिक्रियाएँ जो हमारे शरीर में या कोशिकाओं के अन्दर होती हैं, वह जल में घुले हुए पदार्थों में होती हैं।
- शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
♦ जल का महत्व / आवश्यकताः-
- यह शरीर का ताप नियन्त्रित करता है। * जल मानव शरीर की कोशिकाओं, कोशिका-सरंचनाओं तथा ऊतकों में उपस्थित जीव द्रव्य का महत्वपूर्ण संघटक है।
- जल जन्तु / पौधे हेतु आवास (Habitat) का कार्य करता है।
- जीवों में सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती है।
प्रदुषण: भूमि (मृदा) प्रदुषण
♦ मृदा (Soil):- भूमि की उपरी सतह पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कार्बनिक पदार्थ एवं वायु प्रचुर मात्रा में उपस्थित होती है। भूमि की यह सतह मृदा (Soil) कहलाती है।
♦ भूमि / मृदा प्रदूषण (Soil Polution):– मृदा के गुणवता को कम करने वाले अवांछित तत्व या विषैले पदार्थों का मृदा में उपस्थिति भूमि / मृदा प्रदूषण कहलाता है।
♦ भूमि / मृदा प्रदूषण के कारणः–
- मृदा में जैव अनिम्नकरणीय पदार्थों की उपस्थिति
- पोलीथिन और प्लास्टिक
- पीडकनाशी और रासायनिक उर्वरक
♦ मृदा अपरदन (Soil erosion):- मृदा का सबसे ऊपरी भाग काफी उपजाऊ एवं ह्यूमस से परिपूर्ण होता है। यह हल्का भी होता है, कई बार ये बहते हुए वायु या जल के साथ एक जगह से दुसरे जगह स्थानांतरित हो जाते है। मृदा का इस प्रकार स्थानांतरित होना मृदा अपरदन कहलाता है।
♦ मृदा अपरदन का कारण:-
- वन विनाश
- तेज वायु
- जल का तेज बहाव या बाढ़ जो मृदा के उपरी भाग को अपने साथ बहा ले जाता है।
♦ मृदा अपरदन रोकने के उपाय:-
- पौधो की जड़े मृदा को रोकती है और ये मृदा कणो को बाँधे रखती है।
- विश्व मे बड़े स्तर पर पेड़ो वृक्षो को काटा जा रहा है। इससे मृदा का अपरदन होता है। उपरिमृदा को हटाने पर मृदा का अपरदन होता है। अंतः अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए।
♦ उप मृदा (Top Soil):- मृदा की सबसे उपरी परत जिसमें मृदा के कणों के अतिरिक्त ह्यूमस और सजीव स्थित होते हैं उसे ऊपरी मृदा कहते हैं।
♦ ह्यूमस (Humus):- मृदा के ऊपरी भाग में सड़े-गले जीवों के टुकड़े भी मिले होते हैं, जिसे ह्यूमस (Humus) कहते हैं।
मृदा के गुण:
♦ मृदा के गुण जिसमें किसी पौधा का उगना निर्भर करता है:-
- मृदा में पोषक तत्व की उपस्थिति ।
- उपस्थित ह्यूमस की मात्रा |
- उपस्थित ह्यूमस की गहराई |
मृदा निर्माण की प्रक्रिया:-
- सूर्य पत्थरो को दिन मे गर्म कर देता है जिससे वे फैलते है तथा वे रात में ठंडे होकर सिकुड़ते है। अंतः इन पत्थरो में दरार पड़ जाती है। बड़े पत्थर टूटकर छोटे हो जाते है।
- पत्थरों की दरार मे जल भरने पर दरारें अधिक चौड़ी हो जाती है । बहता जल पत्थरो को तोड़ देता है तथा उन्हे अपने साथ बहा ले जाती है। पत्थर आपस में टकराकर छोटे कणो मे बदल जाती है जिससे मृदा का निर्माण होता है।
- तेज वायु भी पत्थरों को तोड़ देती है। तेज हवा बालू को उड़ा कर ले जाती है।
- लाइकेन और मॉस चट्टानों की सतह पर उगती है और उनको कमजोर बनाकर महीन कणों में बदल देते हैं। उनकी जड़ों के पास मृदा का निर्माण होता है।
♦ मृदा निर्माण में सहायक कारक:-
(i) सूर्य की गर्मी
(ii) पानी का तेज बहाव
(iii) तेज वायु
(iv) लाइकेन और मॉस जैसे जीव
जैव रासायनिक चक्रण
♦ नाइट्रोजन स्थिरीकरण:- वायुमंडलीय नाइट्रोजन का नाइट्रेट या नाइट्राइट्स में परिवर्तन होने की प्रक्रिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते है।
♦ नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया:- नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने पर बैक्टीरीया कुछ स्वतंत्र रूप से रहते है। कुछ बैक्टीरीया द्विबीजपत्री पौधो की कुछ स्पीशीज के साथ पाए जाते है। जैसे गन । नाइट्रोजन को स्थिर करने वाले बैक्टीरीया जैसे फलीदार पौधो की जड़ो मे एक विशेष प्रकार की संरचना ग्रंथिका मे पाए जाते है। भौतिक क्रियाओ के द्वारा नाइट्रोजन परमाणु नाइट्रेट और नाइट्राइट्स में बदलते है। बिजली चमकने के दौरान हवा मे पैदा हुआ उच्च ताप तथा दाब नाइट्रोजन को इट्रोजन के आक्साइड मे बदल देता है जो पानी आक्साइड मे घुलकर नाइट्रिक अम्ल बनाते है। वर्षा के साथ ये भूमि की सतह मे गिरते है जिसे अम्ल वर्षा कहते है। पौधे नाइट्राइट्स को प्राप्त कर उन्हे अमीनो अम्ल मे परिवर्तित कर देते है।
Q1.) शुक्र और मंगल के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसा भिन्न है ?
उत्तर:-शुक्र तथा मंगल पर वायुमण्डल का मुख्य घटक कार्बन डाइऑक्साइड है जबकि हमारा वायुमण्डल नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल-वाष्प का मिश्रण है। हमारे वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा लगभग 0.04% है जबकि शुक्र तथा मंगल ग्रहों के वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 95 से 97% है।
Q2.) वायुमंडल एक कम्बल की तरह कैसा कार्य करता है ?
उत्तर:- वायु मंडल एक कंबल की तरह काम करती है :
- यह औसत ताप को स्थिर रखता है |
- यह दिन के समय अचानक तापमान की वृद्धि को रोकता है |
- रात के समय यह बहरी अंतरिक्ष में ऊष्मा के पलायन को रोकता है |
Q3.) वायु प्रवाह ( पवन ) के क्या कारन है ?
उत्तर:- पृथ्वी के ऊपर की वायु शीघ्रता से गरम होकर हलकी सो जाती है और ऊपर उठ जाती है |इस प्रकार वायु का दाब कम हो जाता है | अत: समुंद्र के उपर की वायु कम दाब वाले एरिया की तरफ बहने लगती है | यह बहती हुई वायु पवन कहलाती है |
Q4.) बादलों का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर:- जल स्रोतों से पानी वाष्प के रूप में हवा में चला जाता है | कुछ जलवाष्प हवा में पहले से ही मौजूद होते हैं | ऊपर जाकर जलवाष्प ठंडी हो जाती है | ठंडी होकर यह छोटी – छोटी जल के बुंदें वायु में निलंबित होकर बादलों का निर्माण करती है |
Q5.) मनुष्य के तिन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वायु प्रदुषण में सहायक है ?
उत्तर:- कोयला, पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। ट्रक, जीप, कार, ट्रेन, हवाई जहाज सहित वाहनों से निकलने वाली गैसें भारी मात्रा में प्रदूषण का कारण बनती हैं।
Q6.) जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर:-
- सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जल माध्यम में होती है |
- पदार्थों का संवहन घुली अवस्था में होता है |
- प्राणी को जीवित रहने हेतु जल आवश्यक है |
- जल प्राणियों का आवास भी है |
- स्थलीय जीवों को मीठे जल की आवश्यकता होती है |
Q7.) जिस गांव/ शहर / नगर में आप रहते है वहां पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य श्रोत क्या है ?
उत्तर:- गाँव, नगर और शहरों में उपलब्ध शुद्ध जल के स्रोत भूमिगत जल, तालाब, झील और नदियाँ हैं। विशेषकर पर्वतों से आने वाली नदियों में बर्फ के पिघलने से जल मिलता है। तालाब, झीलों आदि में भी अधिकतर वर्षा का ही जल होता है।
Q8.) मृदा ( मिट्टी ) का निर्माण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:- चट्टानों के टूटने व पिसने-घिसने से मृदा या मिट्टी का निर्माण होता है। मिट्टी के निर्माण में चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े, ताजी व गली-सड़ी पत्तियाँ, मृत जीव अवशेष व रेत के कण आदि मिलने से होता है। मृदा की ऊपरी परत को बनने में कम-से-कम 300 से 800 वर्ष का समय लगा है। मृदा निर्माण की प्रक्रिया सतत् है।
Q9.) मृदा आप्रदन क्या है ?
उत्तर:- मृदा की उपरी उपजाओ परत के हटने की प्रक्रिया को मृदा का अपरदन कहते हैं |
Q10.) मृदा अपर्दन को रोकने और कम करने के कौन – कौन से तरीके हैं ?
उत्तर:- अपरदन को रोकने और कम करने के तरीके :-
- अधिक से अदिक फसल उगाना .
- अधिक चराई को रोकना .
- पेड़ों के काटने को कम करना तथा काटे गये पेड़ों के स्थान पर अधिक पेड़ उगाना |
- मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखना तथा फसल उगाना |
Q11.) जल – चक्र के क्रम में जल की कौन – कौन सी अवस्थाएं पाई जाती है ?
उत्तर:-
- हिम (ठोस)
- द्रव (पानी)
- वाष्प (गैस)
- अतिशीतित जल (सुपरकुल्ड वाटर)
Q12.) मनुष्य के किन्ही तीन गतिविधियों को पहचाने जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढती है |
उत्तर:- मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियां निम्नलिखित है –
- जीवाश्म ईंधनों का दहन।
- वनों की कटाई व दहन।
- इमारतों का निर्माण।
Q13.) ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है ?
उत्तर:- ग्रीन हाउस प्रभाव – वायुमंडल में उपस्थित CO2 परत द्वारा उष्मीय प्रभाव वाली अवरक्त किरणों के प्रगृहीत होने की वजह से वायुमंडल में गर्म हो जाने को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं |
Q14.) वायुमंडल में पाए जाने वाले ओक्सीजन के दो रूप कौन – कौन से है ?
उत्तर:- वायुमंडल में पाए जाने वाले ओक्सीजन के दो रूप निम्नलिखित है –
- द्विपरमान्विक रूप में ऑक्सीजन ( O2 ) ,
- त्रिपरमान्विक रूप में ओजोन ( O3 )
Q1.) जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:-
- वायुमंडल से ऑक्सीजन प्राप्त होती है जो जीवन के लिए अनिवार्य है |
- पौधों के प्रकाश – संश्लेषण के लिए आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल से ही प्राप्त होता है |
- वायुमंडल कंबलके भांति हमारे चारो ओर फैला हुआ है जो पृथ्वी पर ऊष्मा का संतुलन बनाए रखता है |
Q2.) जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर:- जल का महत्व –
- कोशिका के अंदर होने वाले जैविक क्रियाओं के लिए जल आवश्यक है |
- पदार्थों के एक भाग से दुसरे भाग तक स्थानांतरण के लिए जल आवश्यक है |
- जीव शरीर का अधिकांश भाग जल है |
Q3.) जीवन प्राणी मृदा कपर कैसे निर्भर है ? क्या जल में रहने वाले जीव सम्पदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र है ?
उत्तर:- पृथ्वी पर प्रत्येक प्राणी मृदा पर निर्भर करता है पेड़-पौधों की जड़ें सामान्यतः खड़े रहने के लिए मृदा से जड़ित होती हैं। अनिल जी जो अपना भोजन खुद उत्पाद नहीं कर सकते हैं वे पेड़ पौधों पर निर्भर करते हैं। पानी में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र नहीं है।
Q4.) जंगल वायु , मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते है ?
उत्तर:- वृक्षों से विमुक्त होकर जलवाष्प वायुमण्डल में बादलों का निर्माण करती है और वर्षा करती है। इस प्रकार जंगल जल-चक्र एवं जैव-भू-रसायन चक्रों को संचालित करते हैं। वन जलवायु को शीतल रखते हैं तथा भूमि के अपरदन को रोकते हैं। जंगल में वृक्षों की पत्तियाँ अपघटित होकर मृदा की गुणवत्ता को बढ़ती हैं।