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Toggleclass 9 science chapter 10 गुरुत्वाकर्षण
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Jac Board Solutions Class 9 Science Chapter 10:गुरुत्वाकर्षण
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class 9 science chapter 10 गुरुत्वाकर्षण
अध्याय 10 :गुरुत्वाकर्षण (Gravitation )
♦ग्रुत्वाकर्षण बल:
गुरुत्वाकर्षण बल दो वस्तुओं के बीच लगाने वाला आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
♦ गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियमः- दो वस्तुओं के बीच लगने वाला आकर्षण बल उनके द्रव्यमान के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है और उनके बीच के दुरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह नियम संसार के सभी वस्तुओं पर लागु होता है। अत: इस नियम को गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम कहते है।
G का वर्तमान मान:
6.673 × 10-ll N m2 kg¯²
IG का मान हेनरी कैवेन्डिश (1731 – 1810) द्वारा संवेदनशील संतुलन का प्रयोग करके ज्ञात किया गया था।
G का स्वीकृत मान: 6.673 x 10-11 Nm2 kg¯²
यह नियम इस अर्थ में सार्वभौमिक है कि यह सभी निकायों पर लागू होता है, चाहे कोई पिंड बड़े हों या छोटे, चाहे वे खगोलीय हों या स्थलीय |
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम सर आइजैक न्यूटन ने दिया है।
♦ गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्वः-
- इसके कारण हम पृथ्वी से बंधे रहते है।
- पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति ।
- सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति ।
- चन्द्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा।
♦ (गुरुत्वीय त्वरण) Acceleration due to gravity:-
- जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती हैं, त्वरण शामिल होता है। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है। इसलिए इस त्वरण को गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण कहा जाता है।
इसका SI मात्रक ms-2 है और इसे ‘g’ से दर्शाया जाता है।
पृथ्वी पर इसका मान 9.8ms-2 है।
- अभिकेन्द्रीय बल:- जब हम धागे से छूटे हुए पत्थर को वृत्ताकार पथ में एक निश्चित गति से घुमाते हैं, तो यह हर बिंदु पर दिशा बदलता है। दिशा में परिवर्तन में वेग और त्वरण में परिवर्तन शामिल है। वह बल जो इस त्वरण का कारण बनता है और शरीर को वृत्ताकार पथ पर गतिमान रखता है, केंद्र की ओर कार्य कर रहा है। इस बल को अभिकेन्द्रीय बल कहते हैं।
♦ मुक्त पतन (Free falling):- जब कोई वस्तु पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण पृथ्वी कि ओर गिरती है तो इसे मुक्त पतन कहते हैं।
मुक्त में गिरती हुई वस्तु का गुण:
गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता।
• पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है।
वेग में कोई भी परिवर्तन त्वरण को उत्पन्न करता है।
जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है, त्वरण कार्य करता है।
यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण है।
♦ गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to gravity): पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण उत्पन्न त्वरण को त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण कहते है।
इसे ‘g’ से दर्शाते हैं। गुरुत्वीय त्वरण ‘g’ का मात्रक भी वही होता है जो त्वरण का होता है। अर्थात ms¯¹
.गति के दूसरे नियम से हम जानते हैं कि बल पिंड के द्रव्यमान और त्वरण का गुणनफल है।
बल (F) = ma…… (i)
हम पहले से ही जानते हैं कि गिरने वाली वस्तुओं में त्वरण शामिल होता है गुरुत्वाकर्षण बल के लिए और g द्वारा निरूपित किया जाता है। यहाँ हम गिरती हुई वस्तु के त्वरण के रूप में g का प्रयोग करते हैं।
अब हमारे पास है
F = mg ~~ (ii)
पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर “g” का मान भिन्न होता है:
पृथ्वी एक पूर्णत: गोल नहीं है। जैसे-जैसे पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से भूमध्य रेखा तक बढ़ती जाती है, g का मान भूमध्य रेखा की तुलना में ध्रुवों पर अधिक होता जाता है।
जहाँ g का मान अधिक होने पर किसी वस्तु का भार भी गुरुत्व बल के कारण बढ़ जाता है। जबकि भूमध्य रेखा की तरह अधिक त्रिज्या है, एक वस्तु का वजन भी कम हो जाता है।
द्रव्यमान एवं भार:
द्रव्यमान (Mass): द्रव्यमान किसी वस्तु में पदार्थ कि कुल मात्रा होता है, जो वस्तु के जड़त्व की माप होता है।
इसका मात्रक kg (किलोग्राम) होता है। यह एक आधारभूत भौतिक राशि है।
किसी वस्तु के द्रव्यमान का गुणः-
- यह किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा होता है।
- यह किसी वस्तु की जड़त्व का माप होता है।
- वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है।
- स्थान परिवर्तन पर वस्तु का द्रव्यमान बदलता नहीं है। वस्तु का द्रव्यमान बढ़ने पर उस वस्तु का जड़त्व कि माप भी बढ़ता है, अर्थात किसी वस्तु का जितना द्रव्यमान होगा उस वस्तु का जडत्व भी उतना ही होगा।
♦ भार (Weight):
वह बल जिसके द्वारा कोई वस्तु पृथ्वी कि ओर आकर्षित होती है वस्तु का भार कहलाता है।
संक्षेप में,
वस्तु पर पृथ्वी का आकर्षण बल वस्तु का भार कहलाता है।
इसे ‘W’ से दर्शाते हैं। भार भी एक बल है इसलिए इसका मात्रक भी बल वाला ही होता है अर्थात kgm¯² या N (न्यूटन ) |
किसी वस्तु के भार के गुण:
भार वह बल है जो उध्वधिर दिशा में नीचे की ओर लगता है।
इसमें परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं इसलिए भार एक सदिश राशि है |
वस्तु का भार (W) वस्तु के द्रव्यमान (m) के समानुपाती होता है, अर्थात W:m होता है।
किसी वस्तु का भार इसके स्थान पर निर्भर करता है।
किसी वस्तु का भार प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग हो सकता है।
पृथ्वी का यह आकर्षण बल दो कारकों पर निर्भर करता है :
- वस्तु के द्रव्यमान (m) पर
- पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण (g) पर
♦दाब और प्रणोद
प्रणोद (Thrust):- किसी वस्तु कि सतह पर लम्बवत लगने बल को प्रणोद कहते हैं।
- प्रणोद का प्रभाव उस क्षेत्रफल पर निर्भर है जिस पर कि वह लगता है।
- किसी वस्तु पर लगने वाला प्रणोद का परिमाण (magnitude) उस सतह के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है जिस सतह से वस्तु संपर्क में रहता है।
प्रणोद का SI मात्रक वही होता है जो बल का होता है अर्थात kgms¯² या N (न्यूटन) है।
♦ दाब (Pressure):
प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले प्रणोद को दाब कहते है।
दाब = प्रणोद / क्षेत्रफल
ICT SI मात्रक N/m2 या Nm¯² है। इसे वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल के सम्मान में, दाब के मात्रक को पास्कल कहा जाता है। तथा इसे Pa से व्यक्त किया जाता है।
- किसी वस्तु के ऊपर लगने वाले प्रणोद यदि कम क्षेत्रफल से लगता है तो दाब बढ़ता है और अधिक क्षेत्रफल से लगता है तो दाब कम हो जाता है।
यही कारण है कि किलों के सिरे नुकीले होते है, चाकू कि धार होती है, भवनों कि नींव चौड़ी होती है और स्कूल बैग की पट्टियाँ चौड़ी बनाई जाती है।
◊ मुख्य बिंदु:
(i) समान परिणाम के बलों का भिन्न-भिन्न क्षेत्रफलों पर भिन्न-भिन्न प्रभाव होता है। इसलिए समान प्रणोद का अलग- अलग प्रभाव हो सकता है।
उदाहरण:- एक लकड़ी का गुटका मेज पर रखा है। लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान 5 kg है तथा इसकी विमाएँ 40cm x 20cm × 10cm है। लकड़ी के तुकडे द्वारा मेज पर लगने वाले दाब ज्ञात कीजिए। यदि इनकी निम्नलिखित विमाओं की सतह मेज पर रखी जाती है।
(a) 20cm x 10cm
(b) 40cm * 20cm
हल:-
लकड़ी के गुटके का द्रव्यमान = 5kg
तथा इसकी विमाएँ = 40cm x 20cm x 10cm
मेज की सतह पर लगने वाला प्रणोद (भार) F =m × g
= 5kg x 9.8ms¯²
= 49kg ms¯² (N)
जब लकड़ी 20cm × 10cm की सतह पर राखी जाती है तब-
सतह का क्षेत्रफल: = 20cm ×10cm
= 200cm² = 0.02m²
दाब = प्रणोद / क्षेत्रफल
= 49 N/0.02m²
= 2450 Nm¯²
जब लकड़ी 40cm x 20cm की सतह पर रखी जाती है तब प्रणोद तो समान ही रहता है
क्षेत्रफल = 40cm × 20cm
= 800cm² = 0.08m²
दाब = प्रणोद / क्षेत्रफल
= 49N/ 0.08m²
= 612.5 Nm¯²
अत: सतह 20cm x 10cm द्वारा लगाया गया दाब = 2450Nm¯²
और सतह 40cm x 20cm द्वारा लगाया गया दाब = 612.5 N m¯²
इस उदाहरण से स्पष्ट देख सकते है कि किसी वस्तु के ऊपर लगने वाले प्रणोद यदि कम क्षेत्रफल से लगता है तो दाब बढ़ता है और अधिक क्षेत्रफल से लगता है तो दाब कम हो जाता है।
उत्प्लावक्ता
तरलों में दाब:
♦ उत्पलावन बल (Buoyancy Force):-
किसी वस्तु को तरल में डुबोया जाता है तो तरह उस वस्तु पर ऊपर कि ओर एक लगाता है, वस्तु पर ऊपर कि ओर लगने वाले इस बल को उत्पलावन बल कहते है।
- उत्प्लावन बल हमेशा ऊपर कि ओर लगता है।
- गुरुत्व बल हमेशा वस्तु पर नीचे कि ओर लगता है।
- उत्पलावन बल तरल के घनत्व पर निर्भर करता है।
♦ उत्प्लावकता (Buoyancy):- तरल पदार्थों का वह गुण जिससे वह अपने अंदर डुबोई जाने वाली प्रत्येक वस्तु को ऊपर कि ओर धक्का (बल) लगाता है उत्प्लावकता कहलाता है।
दुसरे शब्दों में,
तरल पदार्थों द्वारा ऊपर कि ओर बल लगाये जाने वाले गुण को उत्प्लावकता कहते है।
किसी तरल पदार्थ का उत्प्लावकता उसकी घनत्व (density) पर निर्भर करता है। जिसकी तरल की घनत्व अधिक होगा वह अधिक उत्प्लावन बल लगाएगा यदि उसका घनत्व कम है तो वह कम बल लगाएगा।
ये तरल पदार्थ जल, तारपीन का तेल, पेट्रोल, किरोसिन तेल, अल्कोहोल तथा दूध हो सकता है।
क्रियाकलापः
हम एक वायुरुद्ध ढक्कन से एक प्लास्टिक कि खाली बोतल को बंद कर देते है और पानी में डुबोते है तो देखते है कि बोतल को छोड़ने पर ऊपर पानी कि सतह पर वापस आ जाता है। वस्तु का भार पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के बराबर होता है। जब बोतल डुबोई जाती है तो बोतल पर पानी द्वारा लगने वाला ऊपर की दिशा में बल इसके भार से अधिक है। इसीलिए छोड़ने पर यह ऊपर उठती है। इस प्लास्टिक की बोतल पर दो प्रकार का बल कार्य कर रहा है।
(i) गुरुत्व बल जो बोतल को नीचे कि तरफ खींचता है। और
(ii) वह बल जो बोतल को ऊपर कि ओर धक्का दे रहा है जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं।
♦ घनत्व (density):
किसी पदार्थ का घनत्व, उसके एकांक आयतन के द्रव्यमान को कहते हैं।
घनत्व का मात्रक किलोग्राम प्रति घन मीटर (kgm-3) है।
- एक ही पदार्थ का घनत्व सदैव समान रहता है।
- किसी पदार्थ का घनत्व उसका एक लाक्षणिक गुण है।
- अलग-अलग पदार्थों का घनत्व भी अलग-अलग होता है।
- किसी पदार्थ का घनत्व, उस पदार्थ कि शुद्धता कि जाँच में सहायता करता है।
उदाहरण: सोने का घनत्व 19300kg m 3 होता है जबकि पानी का घनत्व 1000kg m 3 है|
घनत्व को समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं:- हमने दो एक ही आकार की ब्लॉक लिया एक लोहे की और दूसरी प्लास्टिक की जिनका आयतन lcm × lcm × lcm = 1 cm³ समान है। परन्तु इनके द्रव्यमान में अन्तर है, लोहे वाले ब्लॉक का द्रव्यमान 25g है और प्लास्टिक वाले ब्लॉक का द्रव्यमान 10g है। अब यह कहा जायेगा कि लोहे का घनत्व प्लास्टिक की तुलना में अधिक है, और प्लास्टिक का घनत्व लोहे कि तुलना में कम है।
♦ आर्किमिडीज का सिद्धांत:-
जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती है जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है।
आर्किमिडीज के सिद्धांत का अनुप्रयोग: आर्किमिडीज के सिद्धांत के बहुत से अनुप्रयोग हैं।
जिनमें से ये तीन अनुप्रयोग प्रमुख है:-
- यह जलयानों तथा पनडुब्बियों के डिशाइन बनाने में म आता है।
- दुग्ध्मापी, जो दूध के किसी नमूने की शुद्धता की जाँच करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। तथा
- हाइड्रोमीटर, जो द्रवों के घनत्व मापने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
पानी कि सतह पर किसी वस्तु को रखने पर तैरना या डूबना हमने अभी ऊपर आर्किमिडीज का सिद्धांत देखा, इस सिद्धांत के अनुसार जब किसी वस्तु को तरल (पानी) में डुबोया जाता है तो तरल द्वारा उस वस्तु पर एक बल (उत्प्लावन बल) लगता है यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है अर्थात उत्प्लावन बल के बराबर होता है।
“यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गए तरल के भार से अधिक होगी तो बस्तु डूब जाएगी और यदि वस्तु का भार उसके द्वारा हटाये गए तरल के भार से कम हो अथवा बराबर हो तो वह वस्तु तैरेगी।”
उदाहरण:- मान लीजिए की हमने एक लोहे की कील को पानी में डुबोया, अब लोहे की कील जितना जगह (आयतन) घेरती है वह उतनी ही जगह के पानी को हटाएगी। लेकिन उतनी जगह की पानी का घनत्व और उतनी ही जगह के लोहे का घनत्व में काफी अंतर होगा। जैसा कि हमने लोहे और प्लास्टिक के उदाहरण में देखा था। तो हमें पता है कि उतनी ही जगह में लोहे का भार उतनी ही जगह में पानी का भार से अधिक है, तो आर्किमिडीज के सिद्धांत के अनुसार वह कील डूब जाएगी ।
लोहे कि कील डूब जाती है : लोहे की कील का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक है। इसका अर्थ है की लोहे की कील पर पानी का उत्प्लावन बल लोहे की कील के भार से कम है। इसीलिए यह डूब जाती है।
कॉर्क का तैरना: कॉर्क का घनत्व पानी के घनत्व से कम है। इसका अर्थ है कि कॉर्क पर पानी का उत्प्लावन बल, कॉर्क के भार से अधिक है। इसीलिए यह तैरता है।
निष्कर्ष: द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव में डूब जाती हैं।
इस प्रकार के बहुत से प्रश्न हैं – जैसे लोहे की कील डूब क्यों जाती है और लोहे का जहाज डूबता नहीं हैं?
सुखी लकड़ी पानी की सतह पर तैरती क्यों है?
कोई वस्तु पानी कि सतह पर तैरती क्यों है? कोई वस्तु पानी कि सतह पर डूब क्यों जाती है?
गुरुत्व बल एवं उत्प्लावन बल में अंतर:
गुरुत्वा बल | उत्प्लावन |
1. यह निचे की ओर कार्य करता है | | 1. यह ऊपर की ओर कार्य करता है | |
2.गुरुत्वा बल पृथ्वी द्वारा लगाया गया बल है | | 2. यह तरल पदार्थों द्वारा लगाया गया बल है | |
3. यह किसी वास्तु के भार के बराबर होता है | | 3. यह वास्तु द्वारा हटाये गये तरल के भार के बराबर होता है | |
Q1.) गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताए |
उत्तर:– गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम क्या है? वैज्ञानिक आइजैक न्यूटन के द्वारा दिए गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार दुनिया का हर पिंड दुसरे पिंड को पूरी शक्ति से अपनी ओर खींचता है।यह बल दोनों वस्तुओं के भार के गुणनफलों के समानुपाती होता है।वहीँ उसके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।
Q2.) मुक्त पतन से आप क्या समझते है ?
उत्तर:-चिरसम्मत यांत्रिकी में, मुक्त पतन किसी पिण्ड की गति है जहाँ गुरुत्वाकर्षण ही एकमात्र बल है जो उस पर कार्य करता है। सामान्य आपेक्षिकता के सन्दर्भ में, जहाँ गुरुत्वाकर्षण को अन्तरिक्ष-समय वक्रता में कम कर दिया जाता है, मुक्त पतन में एक पिण्ड पर कोई बल कार्य नहीं करता है।
Q3.) गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते है ?
उत्तर:- न्यूटन के गति के दुसरे नियम के अनुसार जब किसी वस्तु पर बल कार्य करता है तो उसमे त्वरण (a = F/m) उत्पन्न हो जाता है। अत: पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण वस्तु में भी एक त्वरण उत्पन्न हो जाता है इस गुरुत्व बल द्वारा उत्पन्न त्वरण को ही गुरुत्वीय त्वरण कहते है।
Q4.) किसी वस्तु के द्रव्मन तथा भार में क्या अंतर है ?
उत्तर:- द्रव्यमान- द्रव्य का जितना परिमाण किसी वस्तु में होता है, वह उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है. भार– किसी वस्तु को पृथ्वी जिस आकर्षण बल से अपने केंद्र की और खींचती है, उसे वस्तु का भार कहते हैं.
Q5.) किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/6 गुना क्यों होता है ?
उत्तर:- चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 1/100 गुना है और चन्द्रमा की त्रिज्या पृथ्वी के त्रिज्या की ¼ गुना है।परिणामस्वरूप, पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण लगभग 1/6 है।
Q6.) एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है , क्यों ?
उत्तर:- यदि स्कूल बैग को एक पतली और मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से उठाया जाये तो प्रणोद के कारण यह कार्य अति कठिन होगा। चूंकि स्कूल बैग की पट्टी पतली होने से बैग का भार कंधे के एक बहुत कम क्षेत्र पर पड़ता है.जिससे बैग उठाना मश्किल हो जाता है।
Q7.) उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:- जब किसी वस्तु को किसी तरल में डुबोया जाता है तो तरल उस वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं।उत्प्लावन बल का परिमाण तरल के घनत्व पर निर्भर करता है।इस घटना को उत्प्लावकता कहते हैं।
Q8.) पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डूबती है ?
उत्तर:- पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु तैरती या डूबती है यह इनके घनत्वों में अंतर के कारण होता है।
- यदि पानी की सतह पर रखी गई वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से कम होगा तो वह वस्तु तैरती रहेगी।
- यदि पानी की सतह पर रखी गई वस्तु का घनत्व पानी के घनत्व से अधिक होगा तो वस्तु डूब जाएगी।
Q9.) पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:-
Q1.) यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर:-
Q2.) सभी वस्तुओं में लगने वाला बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है | फिर एक भारी वस्तु हलकी वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नही गिरती ?
उत्तर:-
Q3.) पृथ्वी तथा उसकी साथ पर रखी 1 kg की वास्तु के बिच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा ? ( पृथ्वी का द्रव्यमान 6 × 10 ²4 kg है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 × 10^6 m है ) |
उत्तर:-
Q4.) पृथ्वी तथा चंद्रमा एक – दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते है | क्या पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को आकर्षित करती है वह बल , उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित रहता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है ? बताइए क्यों?
उत्तर:- गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम के अनुसार दो पिंडों के बीच लगने वाला बल समान होता है|इसीलिए पृथ्वी तथा चंद्रमा एक दूसरे को जिस गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं वह दोनों बराबर होते है।
Q5.) यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की और गति क्यों नहीं करती ?
उत्तर:- न्यूटन के द्वितीय गति नियम से किसी दिए हुए बल के लिए त्वरण वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। चंद्रमा की अपेक्षा पृथ्वी का द्रव्यमान बहुत अधिक है, इसलिए हम पृथ्वी को चंद्रमा की और गति करते नहीं देखे पाते।
Q6.) पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बिच गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे ?
उत्तर:- पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल को हम भार कहते हैं।
Q7.) 19.6 m ऊँची एक मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है | पृथ्वी पर पहुँचने से पहले इसका अंतिम वेग ज्ञात कीजिए |
उत्तर:-
Q8.) पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए | दिया है पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 10 ²4 kg तथा सूर्य का द्रव्यमान 2 × 10³° kg | दोनों के बिच औसत दुरी 1.5 ×10¹¹ m है |
उत्तर:-
Q9.) पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाती है ?
उत्तर:- चूँकि प्लास्टिक का घनत्व पानी के घनत्व से कम होता है । इस कारण प्लास्टिक के गुटके को जल में डुबोने पर उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल गुटके के भार से अधिक होगा। अतः गुटका पानी की सतह पर आ जाता है।
Q10.) 50 g के किसी पदार्थ का आयतन 20 cm है | यदि पानी का धनत्व 1 g cm‾³ हो , तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा ?
उत्तर:-