Jac Board class 10 social science (History) chapter 5 Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 social science (History)| Class 10 social science (History)chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
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class 10 History Chapter 5 important questions
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- अभ्यास
अध्याय 5:मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया (Printing Culture and the Modern World)
Q1.) प्लाटेन क्या है ?
उत्तर:- लेटरप्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है, जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप ली जाती थी। पहले यह बोर्ड काठ का होता था, बाद में इस्पात का बनने लगा।
Q2.) गाथा-गीत से क्या समझते हैं ?
उत्तर:- लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान, जिसे गाया या सुनाया जाता है।
Q3.) गैली क्या है ?
उत्तर:- धातुई फ्रेम, जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनाई जाती थी।
Q4.) राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित दो समाचार पत्र कौन-से थे ?
उत्तर:- राजा राममोहन राय ने दो समाचार पत्र समद कौमुदी (बंगला) तथा मिरातुल अकबर (फारसी) प्रकाशित किए। ये पत्र सामाजिक सुधारों का प्रचार करते थे।
Q5.) मार्टिन लूथर कौन था ?
उत्तर:- मार्टिन लूथर जर्मनी का एक महान धर्म सुधारक था जिसने रोमन कैथोलिक धर्म का विरोध करने से रेफर्मेशन आंदोलन को जन्म दिया।
Q6.) कातिब किसे कहते हैं ?
उत्तर:- हाथ से लिखकर पांडुलिपियों को तैयार करने वालों को कातिब या सुलेखक कहा जाता था।
Q7.) प्रिंटिंग प्रेस से क्या लाभ हुए हैं ?
उत्तर:-
- इसके द्वारा एक बड़ी मात्रा में पुस्तकें तैयार करना आसान हो गया।
- पुस्तकों के आसानी से मिलने के परिणामस्वरूप जहाँ ज्ञान की वृद्धि हुई वहाँ पाठकों की गिनती भी कई गुणा बढ़ गई।
Q8.) मैक्सिम गोर्की कौन था ? उसकी एक साहित्यिक रचना का नाम लिखें।
उत्तर:- मैक्सिम गोर्की एक क्रांतिकारी रूसी लेखक था। उसकी एक प्रसिद्ध रचना का नाम है- “मेरा बचपन और मेरे विश्वविद्यालय”। इस पुस्तक में गोर्की ने अपने बचपन के संघर्षों का वर्णन किया जो एक गरीब बच्चे को प्रायः भुगतना पड़ता है।
Q9.) मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की ?
उत्तर:- मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में निम्नांकित प्रकार से मदद की-
- मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के उदय और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- यह एक शक्तिशाली माध्यम बन गया जिससे राष्ट्रवादी भारतीय देशभक्ति की भावनाओं का प्रसार, आधुनिक आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक विचारों का प्रचार तथा जनसाधारण में जागृति का विकास हुआ।
- प्रेस के माध्यम से राष्ट्रवादियों के लिए अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाना आसान हो गया।
- मुद्रण ने जनसाधारण को स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व समर्पण करने की प्रेरणा दी। बंकिमचंद्र चटर्जी का उपन्यास ‘आनंदमठ’ जिसे आधुनिक बंगाली देशभक्ति का बाइबिल कहा जाता है और उनका गीत ‘वंदे मातरम्’ भारत के जन-जन के लिए स्वाधीनता एवं देशभक्ति का स्रोत बन गया।
अतः मुद्रण संस्कृति के विकास ने भारतीयों के आत्मगौरव और देशप्रेम को जागृत करके उन्हें स्वाधीनता के मार्ग की ओर अग्रसर किया।
Q10.) उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण-संस्कृति के प्रसार का क्या असर हुआ ?
उत्तर:- उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण-संस्कृति का निम्नांकित असर हुआ-
- अनेक लोगों को छापाखाने में काम मिला।
- सस्ती मुद्रण सामग्री से उन्हें राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार मिलने लगे।
- भाषाई प्रेस ने गरीब लोगों के मन में राष्ट्रवादी भावनाओं को रोपण किया।
Q11.) महात्मा गाँधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है। व्याख्या करें।
उत्तर:-
- भारत में औपनिवेशिक शासन के दौरान सरकार द्वारा उन सभी प्रक्रियाओं एवं व्यवस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया जो राष्ट्रवाद में सीधे संबंधित थे।
- इनमें से अभिव्यक्ति का अधिकार, प्रेस की स्वतंत्रता तथा संगठन बनाने की स्वतंत्रता मुख्य थे।
- अतः गाँधीजी ने जब स्वराज को अपना उद्देश्य घोषित किया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अभिव्यक्ति, प्रेस और संगठन बनाने की स्वतंत्रता को स्वराज का महत्त्वपूर्ण भाग स्वीकार किया।
- उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि- स्वराज की लड़ाई सबसे पहले इन संकटग्रस्त आजादी की लड़ाई है।
Q12.)वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट कब लागू किया गया ? औपनिवेशिक सरकार इसे क्यों लागू की ? तीन कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर:- वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878 ई० में लागू किया गया।
वर्नाक्यूलर या देसी प्रेस एक्ट :-
- 1857 की क्रांति के बाद, प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर दृष्टिकोण में परिवर्तन हो चुका था। गुस्से से भरे अंग्रेजी सरकार का मत था कि स्थानीय प्रेसों पर ताले लगा दिए जाएँ। जैसा कि वर्नाकुलर समाचार पत्र पूर्णतः राष्ट्रवादी बन चुका था।
- औपनिवेशिक सरकार इस पर बहस छेड़ दी तथा इस पर नियंत्रण करना प्रारंभ कर दिया। 1878 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास कर दिया गया। आयरिश प्रेस लॉ ढाँचे के अनुसार इसे बनाया गया था।
- इसमें सरकार को व्यापक अधिकार दिए गए कि वह रिर्पोट्स तथा संपादकीय (वर्नाकुलर प्रेस की) पर सेंसर लगा सकती है। विभिन्न प्रांतों से प्रकाशित होने वाले स्थानीय भाषाओं के समाचार पत्रों पर सरकार अपनी पूरी नजर रख रही थी। जब कोई रिपोर्ट जाँच में आ जाती है कि इसमें विद्रोहात्मक प्रवृति है, तो समाचार पत्र को चेतावनी दी जाती थी। यदि चेतावनी को अनसुना कर दिया जाता था, तो ऐसी दशा में प्रेस पर ताला लगा दिया जाता था तथा उसकी मशीनें जब्त कर ली जाती थीं।