Jac Board Class 10 Geography Chapter 4 कृषि Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 भूगोल | Class 10 Geography chapter 4 कृषि
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Jac Board Class 10 geography Chapter 4: कृषि
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class 10 geography chapter 4 कृषि
अध्याय 4 : कृषि (Agriculture)
कृषि:-
♦ कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जो हमारे लिए अधिकांश खाद्यान्न उत्पन्न करती है। खाद्यान्नों के अतिरिक्त यह विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल भी पैदा करती है। इसके अतिरक्ति कुछ उत्पादों जैसे – चाय, कॉफी, मसाले इत्यादि का भी निर्यात किया जाता है।
कृषि प्रक्रिया :-
- जुताई (खेत जोतना मिट्टी को भुरभुरा करना)
- बुवाई (बीज बोना)
- निराई (खरपतवार निकालना )
- सिंचाई ( पानी डालना )
- खाद खाद या उवर्रक डालना )
- कीटनाशक (कीड़े मारने वाली दवाई छिड़कना)
- कटाई ( फसल पकने पर काटना)
- दलाई / गहराई ( बालियों में से बीज अलग करना )
कृषि प्रणाली :-
- निर्वाह कृषि
- गहन कृषि
- वाणिज्यिक कृषि
- रोपण कृषि
प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि :-
♦ ऐसी कृषि प्रणाली जिसमें किसान अपने परिवार का पोषण करने के लिए उत्पादन करता है। इसमें परंपरागत कृषि उपकरणों तथा तरीकों का प्रयोग किया जाता है ।
कर्तन दहन प्रणाली / स्थानांतरित कृषि :-
♦ किसान जंगल की भूमि के टुकड़े को साफ करके अर्थात् पेड़ काटकर जलाते है परिवार के जीविका निर्वाह के लिए खेती करते हैं और उस जमीन की उर्वरता कम होने के बाद किसी और जमीन के टुकड़े को साफ करके खेती करते हैं।
गहन निर्वाह कृषि :-
♦ वह खेती जो उन जगहों पर की जाती है जहाँ जनसँख्या का घनत्व अधिक होता है इस प्रकार की खेती में कम जगह में अधिक उत्पादन प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए बीज ,रासायनिक खाद ,कीटनाशक आदि का प्रयोग किया जाता है गहन खेती कहलाती है
वाणिज्यिक कृषि (commercial farming):-
♦ वाणिज्यिक खेती (commercial farming) एक प्रकार का कृषि कार्य है, जिसमें किसान अपनी फसल का उत्पादन व्यावसायिक उद्देश्य के लिए करते हैं. जिसे हम व्यापारिक कृषि या वाणिज्यिक खेती कहते है. इस खेत में बड़ी और भारी मशीनों के अलावा अधिक भूमि का इस्तेमाल किया जाता है. इतना हीं नहीं यह खेती करने का एक आधुनिक तरीका भी है. जिसे बड़े पैमाने पर किया जाता है.
रोपण कृषि :-
♦ एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जिसमें विस्तृत क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है। जिसमें अत्यधिक पूंजी निवेश व श्रम का प्रयोग होता है। भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि मुख्य रोपण फसलें हैं।
प्रारंभिक निर्वाह कृषि और वाणिज्यिक कृषि के अंतर लिखे :-
प्रारंभिक निर्वाह कृषि | वाणिज्यिक कृषि |
1. छोटी भूमि जोत और सीमित भूमि । | 1. बड़ी भूमि जोत । |
2.पारंपरिक तकनीक और उपकरण आधुनिक तकनीक और उपकरण। उदाहरण :- कुदाल, डाओ , खुदाई करने वाली छड़ी। | 2. आधुनिक तकनीक और उपकरण |
3. स्थानीय बाजार के लिए उत्पादन | 3. निर्यात के लिए उत्पादन । |
4. एक वर्ष में दो या तीन फसलें । | 4. एक ही फसल पर ध्यान । |
5. मुख्य रूप से आजीविका और खाद्य फसलों का उत्पादन, उदाहरण: धान, गेहूं | 5. मुख्य रूप से व्यापार के लिए चिंता | उदाहरण :- गन्ना चाय, कॉफी |
कृषि ऋतुएं :-
♦ भारत में तीन शस्य ऋतुएँ हैं, जो इस प्रकार हैं:-
- रबी
- खरीफ
- जायद
रबी फसलें :-
♦ रबी फसलें शीतऋतु में अक्टूबर से दिसंबर के मध्य में बोई जाती हैं और ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काट ली जाती हैं। गेहूँ जी मटर चना और सरसों आदि मुख्य रबी फसलें हैं।
♦ खरीफ फसलें :-
♦ खरीफ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ जून जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर अक्टूबर में काट ली जाती हैं।
♦ खरीफ ऋतु की मुख्य फसलें चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास जूट मूँगफली और सोयाबीन हैं।
जायद :-
♦ रबी और खरीफ फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल को जायद कहा जाता है। जायद ऋतु में मुख्यत तरबूज, खरबूजे खीरे सब्जियों और चारे की फसलों की खेती की जाती है। गन्ने की फसल को तैयार होने में लगभग एक वर्ष लगता है।
कृषि की मुख्य फसलें :-
- खाद्य फसलें:- गेहूं, चावल, मक्का, दलहन, तिलहन
- नकदी फसलें:- चाय कॉफी, रबड़ जूट, कपास
- बागवानी फसलें :- फल, फूल, सब्जियां
भारत में मुख्य फसलें :-
♦ भारत में मुख्य रूप से चावल, गेहूँ, मोटे अनाज दालें ( दलहन, चाय, कॉफी, गन्ना, तिलहन, कपास जूट इत्यादि फसलें उगाई जाती हैं।
मुख्य फसलें
चावल :-
♦ चावल भारत के अधिकांश लोगों की मुख्य फसल है। हमारा देश दुनिया में चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- जलवायु:- धान एक उष्णकटिबंधीय फसल है और गीले मानसून में अच्छी तरह से बढ़ता है।
- तापमान :- तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर,भारी आर्द्रता अपेक्षित
- वर्षा :- 100 सेमी से ऊपर इसे गर्मियों में भारी वर्षा और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता होती है।
- खेती के क्षेत्र :- उत्तर और उत्तर पूर्वी भारत के मैदान तटीय क्षेत्र और डेल्टा क्षेत्र सिंचाई की मदद से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्से
गेहूं :-
♦ गेंहूँ दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। यह उत्तर में और देश के उत्तर पश्चिमी भाग में मुख्य खाद्य फसल हैं।
- मृदा प्रकार :- जलोढ़ मिट्टी और काली मिट्टी ।
- तापमान :- वृद्धि के समय ठंडा मौसम तथा कटाई के समय तेज धूप
- वर्षा:- 50 से 75 से.मी. वार्षिक वर्षा
- खेती के क्षेत्र:- दक्कन के उत्तर पश्चिम और काली मिट्टी के क्षेत्र में गंगा सतलुज का मैदान ।
- गेहूँ उत्पादक राज्य :- पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश ,बिहार ,राजस्थान है।
मोटे अनाज :-
♦ ज्वार, बाजरा और रागी भारत में उगाए जाने वाले महत्वपूर्ण मोटे अनाज है। हालांकि इनको अनाज के रूप में जाना जाता है। किन्तु इनमें पोषक तत्वों की मात्रा बहुत अधिक है।
♦ ज्वार क्षेत्र और उत्पादन के संबंध में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है ।
बाजरा:-
♦ बाजरा एक अनाज है. यह दिखने में छोटे-छोटे दाने की तरह होता है. बाजरा भारत समेत कई एशियाई और अफ्रीकन देशों में काफी इस्तेमाल किया जाता है. दुनिया का 97 प्रतिशत बाजरा सिर्फ एशिया और अफ्रीका में उगाया जाता है.
- मृदा प्रकार :- यह बलुआ और उथली काली मिट्टी पर उगाया जाता है।
- बाजरा उत्पादक राज्य :- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र गुजरात और हरियाणा इसके मुख्य उत्पादक राज्य है।
रागी :-
♦ रागी को फ़िंगर मिलेट भी कहा जाता है. यह एक मोटा अनाज है जो अफ़्रीका और एशिया के सूखे इलाक़ों में उगाया जाता है.
- मृदा प्रकार :- रागी शुष्क प्रदेशों की फसल है और यह लाल, काली, बलुआ, दोमट और उथली काली मिट्टी पर अच्छी तरह उगायी जाती है।
- रागी उत्पादक राज्य :- रागी के प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश हैं।
मक्का :-
♦ मक्का एक ऐसी फसल है जिसका उपयोग भोजन और चारे दोनों के रूप में किया जाता है। यह एक खरीफ फसल है।
- तापमान :- जो 21 सेल्सियस से 27° सेल्सियस तापमान में उगाई जाती है।
- मृदा प्रकार :- पुरानी जलोढ़ मिट्टी पर अच्छी प्रकार से उगायी जाती है।
- खेती के क्षेत्र :- बिहार जैसे कुछ राज्यों में मक्का रवी की ऋतु में भी उगाई जाती है।
- मक्का उत्पादक राज्य :- कर्नाटक, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना मक्का के मुख्य उत्पादक राज्य है।
♦ आधुनिक प्रौद्योगिक निवेशों जैसे उच्च पैदावार देने वाले बीजों उर्वरकों और सिंचाई के उपयोग से मक्का का उत्पादन बढ़ा है।
दाले :-
♦ भारत विश्व में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है।
♦ शाकाहारी खाने में दालें सबसे अधिक प्रोटीन दायक होती है तूर ( अरहर), उड़द, मूंग, मसूर, मटर और चना भारत की मुख्य दलहनी फसले हैं।
♦ दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है और इन्हें शुष्क परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। फलीदार फसलें होने के नाते अरहर को छोड़कर अन्य सभी दालें वायु से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाए रखती हैं। अतः इन फसलों को आमतौर पर अन्य फसलों के आवर्तन (rotating) में बोया जाता है।
- दाल उत्पादक राज्य :- भारत में मध्य प्रदेश, राजस्थान महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश और कर्नाटक दात के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
खाद्यात्रों के अलावा अन्य खाद्य फसलें
गन्ना :-
♦ ब्राजील के बाद भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- जलवायु :- यह गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है।
- मृदा प्रकार :- यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी पर अच्छी तरह से उगाया जा सकता है।
- तापमान :- तापमान की आवश्यकता 21°C से 27°C होती हैं।
- वर्षा :- 75 सेमी और 100 सेमी के बीच वार्षिक वर्षा |
- प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य :- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र ,कर्नाटक, तमिलनाडु है।
तिलहन :-
♦ भारत तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक है। मूंगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी भारत के मुख्य तिलहन हैं।
♦ दुनिया में मूंगफली का उत्पादन चीन (प्रथम), भारत (दूसरा) और रेपसीड उत्पादन में कनाडा प्रथम चीन, दूसरा और भारत दुनिया में तीसरा ।
चाय :-
♦ दुनिया में चाय उत्पादन में 2020 में चीन प्रथम और भारत दूसरा |
- जलवायु :- उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय ( गर्म और आई) जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होती हैं।
- मृदा प्रकार :- गहरी उपजाऊ अच्छी तरह से सूखी मिट्टी जो ह्यपूमस और कार्बनिक पदार्थों में समृद्ध हैं।
- वर्षा :- 150 से 300 सेमी वार्षिक उच्च आर्द्रता और लगाकर वर्षा पूरे वर्ष समान रूप से वितरित हो।
- प्रमुख चाय उत्पादक राज्य :-असम और पश्चिम बंगाल।
कॉफी :-
♦ चाय की तरह कॉफी को भी बागानों में उगाया जाता है । भारत में सबसे पहले यमन से अरेबिका किस्म की कॉफी को उगाया गया था। शुरुआत में कॉफी को बाबा बूदन पहाड़ियों में उगाया गया था।
बागवानी फसलें :-
♦ सन् 2017 में भारत का विश्व में फलों और सब्जियों के उत्पादन में चीन के बाद दूसरा स्थान था भारत उष्ण और शीतोष्ण कटिबंधीय दोनों ही प्रकार के फलों का उत्पादक है।
♦ भारत का मटर फूलगोभी, प्याज, बंदगोभी, टमाटर, बैंगन और आलू उत्पादन में प्रमुख स्थान है।
अखाद्य फसलें
रबड़ :-
♦ रबड़ भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है परंतु विशेष परिस्थितियों में उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में भी उगाई जाती है । रबड़ एक महत्त्वपूर्ण कच्चा माल है जो उद्योगों में प्रयुक्त होता है।
- वर्षा :- इसको 200 सेमी से अधिक वर्षा और 25″ सेल्सियस से अधिक तापमान वाली नम और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
- रबड़ उत्पादक राज्य :- इसे मुख्य रूप से केरल: तमिलनाडु, कर्नाटक, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और मेघालय में गारो पहाड़ियों में उगाया जाता है।
कपास :-
♦ भारत को कपास के पौधे का मूल स्थान माना जाता है। । सूती कपड़ा उद्योग में कपास एक मुख्य कच्चा माल है। कपास उत्पादन में भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है (2017)।
- मृदा प्रकार :- दक्कन पठार के शुष्कतर भागों में काली मिट्टी कपास उत्पादन के लिए उपयुक्त मानी जाती है |
- तापमान :- इस फसल को उगाने के लिए उच्च तापमान हल्की वर्षा या सिचाई 210 पाला रहित दिन और खिली धूप की आवश्यकता होती है।
- गेहूँ उत्पादक राज्य :- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश कपास के मुख्य उत्पादक राज्य है।
♦ यह खरीफ की फसल है और इसे पककर तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं।
जूट :-
♦ जूट के लिए अच्छी जल निकासी वाली बाढ़ के मैदानों की उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। जूट के मुख्य उत्पादक है पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा और
मेघालय |
शस्यावर्तन :-
♦ भूमि की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए भूमि के किसी टुकड़े पर फसलें बदल बदल कर बोना।
चकबंदी :-
♦ बिखरी हुई कृषि जोतों अथवा खेतों को एक साथ मिलाकर आर्थिक रूप से लाभ प्रद बनाना ।
हरित क्रांति :-
♦ कृषि क्षेत्र में अधिक उपज वाले बीजों का प्रयोग, आधुनिक तकनीक अच्छी खाद / उर्वरकों का प्रयोग करने से कुछ फसलों विशेषकर गेहूं के उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धि को हरित क्रांति कहते हैं।
हरित क्रांति की हानियाँ :-
अत्यधिक रसायनों के कारण भूमि का निम्नीकरण ।
- सिंचाई की अधिकता से जल स्तर नीचा
- जैव विविधता समाप्त हो रही है।
- अमीर और गरीब किसानों के मध्य अंतर बढ़ गया है।
श्वेत क्रांति :-
♦ दूध के उत्पादन में वृद्धि के लिए पशुओं की नस्लों को सुधारना (आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करके)
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व :-
- भारत कृषि प्रधान देश है।
- लगभग दो तिहाई आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर सीधे निर्भर करती है।
- कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य भाग है।
- यह सकल घरेलू उत्पाद का 26% है।
- यह देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उद्योगों के लिए कई कच्चे माल का उत्पादन करता है।
भारतीय कृषि की विशेषताएं:-
- किसानों के पास जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा होता है और मुख्य रूप से अपने स्वयं के उपभोग के लिए फसलें उगाते हैं।
- विभिन्न प्रकार की कृषि गतिविधियों में पशु महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- किसान मुख्य रूप से मानसून की बारिश पर निर्भर रहते हैं।
भारतीय कृषि पर भूमंडलीय के प्रभाव :–
- भारतीय किसानों को इन उत्पादों के लिए अस्थिर कीमतों के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिसमें साल दर साल बड़े पैमान पर उतार चढ़ाव आते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर और घरेलू स्तर पर कृषि उत्पादों की कीमतों पर व्यापार उदारीकरण का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि अन्य देश किन नीतियों का पालन करते हैं।
- प्रमुख कृषि वस्तुओं के निर्यात को उदार बनाया गया है।
- फसलों की उच्च उपज देने वाली किस्मो की शुरूआत के साथ बड़ा परिवर्तन हुआ ।
- इस नवाचार, बुनियादी ढांचे में निवेश, क्रेडिट विपणन और प्रसंस्करण सुविधाओं के विस्तार के साथ आधुनिक आदानों के उपयोग में उल्लेखित वृद्धि हुई।
भारत में घटते खाद्य उत्पादन के लिए उत्तरदायी कारण :-
- गैर कृषि उपयोग के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण बोए गए क्षेत्र में कमी।
- रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों के अधिक उपयोग के कारण उपजाऊ क्षमता में कमी।
- असक्षम तथा अनुचित जल प्रबंधन ने जलाक्रांतता और लवणता की समस्या को उत्पन्न किया।
- अत्यधिक भूजल दोहन के कारण भौम जल स्तर गिर गया है, इससे कृषि लागत में वृद्धि।
- अपर्याप्त भंडारण क्षमता तथा बाजार का अभाव 18
भारत में किसानों के सामने चुनौतियाँ :-
- मानसून की अनिश्चितता ।
- गरीबी और ऋण का दुश्चक
- शहरों की ओर पलायन ।
- सरकारी सुविधाओं तक पहुँच में कठिनाई और बिचौलिए।
- अर्न्तराष्ट्रीय प्रतियोगिता |
भारत में कृषिगत सुधारों के उपाय :-
- अच्छी सिंचाई व्यवस्था जैविक खाद, आधुनिक कृषि यंत्रों आदि का उपयोग।
- किसानों की प्रत्यक्ष सहायता, बैंक खाते में सहायता रकम का सीधा पहुंचना ।
- सरकारी सहायता सस्ते ऋण
- बिजली पानी की सुलभता |
- बाजारों तक सुगमता ।
- बाढ़, सूखे चक्रवात, आग, कीट आदि से बचाव के लिए फसल बीमा ।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य ग्रामीण बैंक, किसान कार्ड आदि।
- कृषि संबंधी शिक्षा मौसम संबंधी जानकारी देना ।
- राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय कृषि सेमिनारों का आयोजन और आम किसान की पहुँच उन तक होना।
- कृषि विद्यालय, विश्वविद्यालय और अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना और उपयोग |
सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार :-
- फसलों की बीमा सुविधा देना ।
- सहकारी बैंकों का विकास कर किसानों को ऋण सुविधा उपलब्ध कराना ।
- फसलों के समर्थन मूल्य का उचित निर्धारण कर प्रोत्साहित करना।
- मौसम संबंधी सूचनाओं को समय समय पर प्रसारित करना ।
- कृषि संबंधी नवीन तकनीक औजारों, उवरको आदिसे संबंधित कार्यक्रम रेडियो तथा दूरदर्शन पर प्रसारितः करना ।
.
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न .-
a) निम्नलिखित में से कौन – सा कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमे एक ही फसल लंबे – चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है ?
(क) स्थानांतरी कृषि (ख) बागवानी (ग) रोपण कृषि (घ) गहन कृषि
उत्तर:-(ग) रोपण कृषि
(ख) इनमें से कौन-सी रबी फसल है?
(क) चावल (ख) चना (ग) मोटे अनाज (घ) कपास
उत्तर:- (ख) चना
(ग) इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है?
(क) दालें (ख) ज्वार तिल (ग) मोटे अनाज (घ) तिल
उत्तर:- (ग) मोटे अनाज
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
(a) एक ।पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें।
उत्तर:- चाय एक पेय फसल है | इसे शुरुआत में अंग्रेजों द्वारा भारत में लाया गया था |आज अधिकतर चाय बागानों के मालिक भारतीय हैं |
इसे उगाने के लिए अनुकूल भोगोलिक परिस्थितियां इस प्रकार है :-
- 25° सेमी० से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।
- वर्षा-चाय के पौधे को 150 सेमी० से 250 सेमी० के बीच भारी वर्षा की आवश्यकता होती है।
- चाय मृदा की उर्वरता समाप्त कर देती है इसलिए रासायनिक उर्वरकों तथा खाद की अवश्यकता होती है।
- उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में भली-भाँति उगाया जा सकता है |
- चाय की झाड़ियों को उगाने के लिए वर्ष भर ऊष्ण, नम और पालारहित जलवायु की आवश्यकता होती है।
(b) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर:- भारत की मुख्य खाद्य फ़सलों में से एक चावल है | चावल भारत के उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है |
(c) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ ।
उत्तर:- सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:-
- हरित क्रांति
- श्वेत क्रांति
- भूमि सुधार
- फसल बीमा
- किसान क्रेडिट कार्ड योजना
- मनरेगा के माध्यम से तालाब का निर्माण
- व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा
(d) दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है। क्या आप इसके परिणामों की कल्पना कर सकते हैं?
उत्तर:- कृषि के अंतर्गत भूमि कम होने के कई परिणाम हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:-
- खाद्यान्न की कमी
- खाद्य सुरक्षा को गंभीर खतरा
- अकाल
- बढ़ती जनसंख्या
- भारत को खाद्यान्नों का आयात करना पड़ेगा
विदेश मुद्रा देनी पड़ेगी
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(a) चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर:- चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियां ये हैं:-
- तापमान: 20°C से 35°C
- वर्षा: 100 सेमी से अधिक
- मिट्टी: डेल्टा और घाटी मिट्टी
- जलवायु: गर्म और आर्द्र
- धूप: लंबे समय तक धूप
- पानी की आपूर्ति: सुनिश्चित