Berojgari ki Samasya par Nibandh 250 words me ||

Berojgari ki Samasya par Nibandh ||  बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक समस्या है जो वैश्विक स्तर पर व्यक्तियों और समाजों को प्रभावित करती है। यह ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ काम करने में सक्षम और इच्छुक लोग उपयुक्त रोजगार के अवसर नहीं पा सकते हैं। बेरोजगारी के कारण बहुआयामी हैं, जिनमें आर्थिक मंदी, तकनीकी उन्नति और उद्योगों में संरचनात्मक परिवर्तन शामिल हैं। बेरोजगारी का प्रभाव गहरा है, जिससे वित्तीय अस्थिरता, गरीबी में वृद्धि और सामाजिक अशांति होती है। बेरोजगारी को संबोधित करने के लिए व्यापक रणनीतियों की आवश्यकता होती है, जैसे कि रोजगार के अवसर पैदा करना, शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण में निवेश करना और सहायक नीतियों के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

Berojgari ki Samasya par Nibandh class 10 250 words me

Berojgari ki Samasya par Nibandh

बेराजगारी की समस्या पर निबंध 250 शब्दों में

♦ बेरोजगारी की समस्या

भूमिका, अर्थ, कारण, दुष्परिणाम, समाधान ।

भूमिका:-

आज भारत के सामने अनेक समस्या चट्टान बनकर प्रगति का रास्ता रोके खड़ी हैं। उनमें से एक प्रमुख समस्या है- बेरोजगारी। महात्मा गाँधी ने इसे ‘समस्याओं की समस्या’ कहा था।

बेरोजगारी का अर्थ:-

बेरोजगारी का अर्थ है- योग्यता के अनुसार काम का न होना। भारत में मुख्यतयाः तीन प्रकार के बेरोजगार हैं। एक वे, जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है। दूसरे जिनके पास कुछ समय काम होता है, परन्तु मौसम या काम का समय समाप्त होते ही वे बेकार हो जाते हैं। तीसरे वे, जिन्हें योग्यता के अनुसार काम नहीं मिला।

कारण:-

बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है- जनंसख्या-विस्फोट । इस देश में रोजगार देने की जितनी योजनाएँ बनती हैं, वे सब अत्यधिक जनसंख्या बढ़ने के कारण बेकार हो जाती हैं। एक अनार सौ बीमार वाली कहावत यहाँ पूरी तरह चरितार्थ होती है। इसीलिए गाँधी जी ने मशीनों का विरोध किया था, क्योंकि एक मशीन कई कारीगरों के हाथों को बेकार बना डालती है। सोचिए, अगर साबुन बनाने का लाइसेंस बड़े उद्योगों को न दिया जाए तो उससे हजारों-लाखों युवक यह धंधा अपनाकर अपनी आजीविका पा सकते हैं।

दुष्परिणाम:-

बेरोजगारी के दुष्परिणाम अतीव भयंकर हैं। खाली दिमाग शैतान का घर। बेरोजगार युवक कुछ भी गलत-शलत करने पर उतारू हो जाता है। वही शांति को भंग करने में सबसे आगे होता है। शिक्षा का माहौल भी वही बिगाड़ते हैं जिन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लगता है।

समाधान:-

बेकारी का समाधान तभी हो सकता है, जब जनसंख्या पर रोक लगाई जाय। युवक हाथ का काम करें। सरकार लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दे। शिक्षा व्यवसाय से जुड़े तथा रोजगार के अधिकाधिक अवसर प्राप्त हो।

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