Bhartiya Kisano par Nibandh 300 words me ||

Bhartiya Kisano par Nibandh || भारतीय किसान देश के कृषि क्षेत्र के केंद्र में हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था और खाद्य आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि में लगा हुआ है, भारत के किसान ग्रामीण आजीविका और राष्ट्रीय विकास में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। भारतीय किसान देश की सामाजिक-आर्थिक संरचना के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो खाद्य उत्पादन, ग्रामीण विकास और सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

Bhartiya Kisano par Nibandh 300 words me ||

Bhartiya Kisano par Nibandh

भारतीय किसानों पर निबंध 300 शब्दों में

♦ भारतीय किसान 

सरल जीवन, परिश्रमी, अभाव, दुरवस्था के कारण, निष्कर्ष।

गाँधी जी ने कहा था:-

‘भारत का हृदय गाँवों में बसता है। गाँवों में ही सेवा और परिश्रम के अवतार किसान बसते हैं। ये किसान ही नगरवासियों के अन्नदाता हैं, सृष्टि-पालक हैं”।

सरल जीवन:-

भारत के किसान का जीवन बड़ा सहज तथा सरल होता है। उसमें किसी प्रकार की कृत्रिमता नहीं होती। ] माँ प्रकृति की गोद में उसे बड़ा संतोष मिलता है। वह स्नेहशील, दयालु तथा दूसरों के सुख-दुःख में हाथ बँटाता है। वह सात्विक जीवन जीता है। जेठ की दोपहरी, वर्षा ऋतु की उमड़ती-घुमड़ती काली मेघ-मालाएँ तथा शीत ऋतु की हाड़ कैंपा देने वाली वायु भी उसे अपने कर्तव्य से रोक नहीं पाती। भारतीय किसान का जीवन कड़ा तथा ​परिश्रमी है।

परिश्रमी:-

भारत का किसान बड़ा परिश्रमी है। वह गर्मी-सर्दी तथा वर्षा अभाव- भारतीय कृषक का जीवन अभावमय है। दिन-रात कठोर परिश्रम करने पर भी वह जीवन की आवश्कताएँ नहीं जुटा पाता। न उसे पेट-भर भोजन मिलता है और न शरीर ढँकने के लिए पर्याप्त वस्त्र। अभाव और विवशता के बीच ही वह जन्मता है, तथा इसी दशा में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

दुरवस्था के कारण :-

निरक्षरता भारतीय कृषक की पतनावस्था का मूल कारण है। शिक्षा के अभाव के कारण वह अनेक कुरीतियों से घिरा है। आज भी वह शोषण का शिकार है। वह धरती की छाती को फाड़ कर, हल चला कर अन्न उपजाता है, किंतु उसके परिश्रम का फल व्यापारी लूट ले जाता है। उसकी मेहनत दूसरों को सुख-समृद्धि प्रदान करती है।

निष्कर्ष :-

देश की उन्नति किसान के जीवन में सुधार से जुड़ी है। किसान ही इस देश की आत्मा है। अतः उसके उत्थान के लिए हमें हर संभव प्रयत्न करना चाहिए। किसान के महत्व को जानते हुए ही लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था- ‘जय जवान जय किसान’ । जवान देश की सीमाओं को सुरक्षित करता है, तो किसान उस सीमा के भीतर बस रहे जन-जन को समृद्धि प्रदान करता है।

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