Vigyaan ka Chamatkaar par Nibandh class 10 350 words

Vigyaan ka Chamatkaar par Nibandh || विज्ञान के चमत्कार न केवल जीवन को आसान और अधिक आनंददायक बनाते हैं, बल्कि जटिल समस्याओं को भी हल करते हैं और दुनिया भर के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। विज्ञान के चमत्कारों की सराहना और समझ करके, हम एक उज्जवल भविष्य बनाने के लिए इसकी शक्ति का बेहतर उपयोग कर सकते है |

Vigyaan ka Chamatkaar par Nibandh class 10, 350 words

Vigyaan ka Chamatkaar par Nibandh

विज्ञान का चमत्कार पर निबंध 350 शब्दों में

विज्ञान का चमत्कार

वरदान के रूप में, अभिशाप के रूप में, निष्कर्ष।

विज्ञान 'वरदान' के रूप में :-

विज्ञान ने अंधों को आँखें दी हैं, बहरों को सुनने की ताकत। लाईलाज रोगों की रोकथाम की है तथा अकाल मृत्यु पर विजय पाई है। विज्ञान की सहायता से यह युग बटन-युग बन गया है। बटन दबाते ही वायु-देवता हमारी सेवा करने लगते हैं, इंद्र-देवता वर्षा करने लगते हैं, कहीं प्रकाश जगमगाने लगता है तो कहीं शीत-उष्ण वायु के झोंके सुख पहुँचाने लगते हैं। बस, गाड़ी, वायुयान आदि ने स्थान की दूरी को बाँध दिया है। टेलीफोन द्वारा तो हम सारी वसुधा से बातचीत करके उसे वास्तव में कुटुंब बना लेते हैं। हमने समुद्र की गहराईयाँ भी नाप डाली हैं और आकाश की ऊँचाईयाँ भी। हमारे टी० वी०, रेडियो, वीडियो में मनोरजंन के सभी साधन कैद हैं। सचमुच विज्ञान ‘वरदान’ ही तो है।

विज्ञान 'अभिशाप' के रूप में :-

मनुष्य ने जहाँ विज्ञान से सुख के साधन जुटाए हैं, वहाँ दुख के अंबार भी खड़े कर लिए हैं। विज्ञान के द्वारा हमने अणु बम, परमाणु बम तथा अन्य ध्वंसकारी शस्त्र-अस्त्रों का निर्माण कर लिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब दुनिया में इतनी विनाशकारी सामग्री इकट्ठी हो चुकी है कि उससे सारी पृथ्वी को अनेक बार नष्ट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त प्रदूषण की समस्या बहुत बुरी तरह फैल गई है। नित्य नए असाध्य रोग पैदा होते जा रहे हैं, जो वैज्ञानिक साधनों के अंधाधुंध प्रयोग करने के दुष्परिणाम हैं। वैज्ञानिक प्रगति का सबसे बड़ा दुष्परिणाम मानव-मन पर हुआ है। पहले जो मानव निष्कपट था, निस्वार्थ था, भोला था, मस्त और बेपरवाह था, वह अब छली, स्वार्थी, चालाक, भौतिकतावादी तथा तनावग्रस्त हो गया है। उसके जीवन में से संगीत गायब हो गया है, धन की प्यास जाग गई है। नैतिक मूल्य नष्ट हो गए हैं।

निष्कर्ष :-

वास्तव में विज्ञान को वरदान या अभिशाप बनाने वाला मनुष्य है। जैसे अग्नि से हम रसोई भी बना सकते हैं और किसी का घर भी जला सकते हैं, जैसे चाकू से हम फलों का स्वाद भी ले सकते हैं और किसी की हत्या भी कर सकते हैं, उसी प्रकार विज्ञान से हम सुख के साधन भी जुटा सकते हैं और मानव का विनाश भी कर सकते हैं। अतः विज्ञान को वरदान या अभिशाप बनाना मानव के हाथ में है। इस संदर्भ में एक उक्ति याद रखनी चाहिए- ‘विज्ञान अच्छा सेवक है लेकिन बुरा हथियार।’

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