Jac Board Class 10 Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 अर्थशास्त्र | Class 10 Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार
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Jac board economics class 10 chapter 5
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- 1 अंक वाले महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
- अभ्यास
अध्याय 5 : उपभोक्ता अधिकार (Consumer Rights)
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
Q1.) खाद्य पदार्थों की स्थिति में निम्नांकित में कौन-सा प्रमाण चिहन उपयोग किया जाता है ?
(1) ISI,
(2) Hall mark,
(3) Hollogram,
(4) इनमें कोई नहीं।
उत्तर:- (1) ISI
Q2.) “एगमार्क” _____ की स्थिति में लागू होता है।
(1) सोना, चाँदी उत्पाद,
(2) खाद्य उत्पाद,
(3) धातु उत्पाद,
(4) कृषि उत्पाद ।
उत्तर:- (4) कृषि उत्पाद ।
Q3.) ISO का पूर्णरूप है-
(1) International Security Organisation,
(2) Internal Security Organisation,
(3) Indian Standard Organisation,
(4) Internal Organisation for Standardisation.
उत्तर:- (4) Internal Organisation for Standardisation
Q4.) विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस प्रतिवर्ष _____ को मनाया जाता है।
(1) 15 मार्च,
(2) 15 अप्रैल,
(3) 15 जनवरी,
(4) 15 दिसंबर।
उत्तर:- (1) 15 मार्च
Q5.) एक उत्पाद पर MRP का अर्थ है-
(1) अधिकतम खुदरा मूल्य,
(2) सूक्ष्म खुदरा मूल्य,
(3) न्यूनतम खुदरा मूल्य,
(4) इनमें कोई नहीं।
उत्तर:- (1) अधिकतम खुदरा मूल्य
Q6.) निम्नांकित में से किस दिन हम राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाते हैं ?
(1) 24 अक्टूबर,
(2) 14 अक्टूबर,
(3) 24 दिसंबर,
(4) 14 दिसंबर।
उत्तर:- (3) 24 दिसंबर
Q7.) निम्नांकित में से कौन नियमों और विनियमों के माध्यम से बाजार में संरक्षित है ?
(1) दुकानदार,
(2) उपभोक्ता,
(3) आपूर्तिकर्ता,
(4) इनमें कोई नहीं।
उत्तर:- (2) उपभोक्ता
Q8.) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम _____ पर प्रतिबंध लगाने के लिए लागू किया गया है।
(1) महंगी वस्तुओं की बिक्री,
(2) घटिया वस्तुओं की बिक्री,
(3) विक्रेताओं द्वारा व्यावसायिक क्रियाओं के उल्लंघन,
(4) अवैधानिक क्रियाओं।
उत्तर:- (3) विक्रेताओं द्वारा व्यावसायिक क्रियाओं के उल्लंघन
Q9.)उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया था ?
(1) 1989,
(2) 1980,
(3) 1985,
(4) 1986.
उत्तर:- (4) 1986.
Q10.) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत एक उपभोक्ता को कितने अधिकार उपलब्ध हैं ?
(1) 6,
(2) 7,
(3) 8,
(4) 9.
उत्तर:- (4) 9.
Q11.) वह संगठन जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादों के मानक तय करता है, उसे कहा जाता है-
(1) ISI,
(2) ISRO,
(3) ISO,
(4) WCF.
उत्तर:- (3) ISO
Q12.) भारतीय मानक संस्थान का मुख्य कार्यालय कहा है ?
(1) दिल्ली,
(2) कोलकाता,
(3) मुंबई,
(4) चेन्नई।
उत्तर:- (1) दिल्ली
Q1.) उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर:- जब कोई भी व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा के लिए उसका मूल्य चुकाता है तो उसे उपभोक्ता कहा जाता है।
Q2.) उपभोक्ता के किन्हीं दो अधिकारों के नाम लिखें।
उत्तर:- उपभोक्ता के दो अधिकार-
(क) उपभोक्ताओं को सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। वे उन चीजों से अपना बचाव कर सकते हैं जो उनके जीवन और सम्पत्ति के लिए खतरनाक है।
(ख) उपभोक्ता को देख परख कर उत्तम चीजों के चुनाव करने का अधिकार है।
Q3.) उपभोक्ता शोषण से क्या अभिप्राय हैं ?
उत्तर:- उपभोक्ता शोषण से अभिप्राय उपभोक्ताओं को कम वस्तु देना, निम्न स्तरीय घटिया वस्तु देना, नकली सामान, मिलावट वाली चीजें, गलत जानकारी आदि का आदान प्रदान करना है।
Q4.) उपभोक्ता के मुख्य कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:- (क) वे ऐसा सामान ही खरीदें जिन पर आई० एस० आई० (ISI) अथवा एगमार्क (Agmark) का निशान लगा हो।
(ख) उपभोक्ता अपनी वास्तविक समस्या की शिकायत उचित विभाग से अवश्य करें।
Q5.) उपभोक्ता जागरूकता क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:- उपभोक्ता जागरूकता उपभोक्ताओं को शोषण से बचाती है। यह उनके हितों की रक्षा करती है। यह उनकी अज्ञानता तथा वस्तुओं के संबंध में शंका को दूर करती है। यह उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से परिचित कराती है।
Q6.) उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 क्यों बनाया गया ?
उत्तर:- उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986, को इसलिए बनाया गया था ताकि इस कानून के द्वारा जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने तथा उनके झगड़ों को निपटाने के लिए कुछ समितियाँ बनाई जा सके।
Q7.) मिलावट का क्या अर्थ होता है ?
उत्तर:- जब किसी शुद्ध वस्तु में दूसरी कोई हानिकारक वस्तु मिलाई जाती है तो इस क्रिया को मिलावट कहते हैं। यह क्रिया किसी भी माप-दण्ड से बड़ी गिरी हुई हरकत है।
लघु/दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Q1.) भारत में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई। इसके विकास के बारे में पता लगाएँ।
उत्तर:- बड़े पैमाने पर खाद्यानों एवं खाद्य पदार्थों की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों में मिलावट जैसी समस्याओं के समाधान के एक प्रयास के रूप में, व्यवस्थित रूप से, भारत में, उपभोक्ता आंदोलन 1960 के दशक में शुरू हुआ।
1970 के दशक में अनेक उपभोक्ता संगठनों का गठन किया गया। आगे चलकर, सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़भाड़ तथा राशन दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया गया।
यह उपभोक्ता आंदोलन का ही परिणाम था कि 1986 ई० में भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया जो सामान्य रूप से COPRA के नाम से जाना जाता है।
Q2.) कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनसे किसी उपभोक्ता का शोषण होता है ?
उत्तर:- उपभोक्ता, का शोषण के मुख्य तरीके निम्नांकित है-
(क) सामान कम माप कर।
(ख) कम स्तरीय वस्तु का उत्पादन कर ।
(ग) ऊँची /अधिक कीमत का निर्धारण कर।
(घ) नकली वस्तुएँ बनाकर ।
(ङ) मिलावटी वस्तुओं का उत्पादन करके ।
(च) सुरक्षा उपकरणों की कमी के द्वारा।
Q3.) बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है ? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ।
उत्तर:- बाजार में नियमों एवं विनियमों की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से होती है-
(क) उपभोक्ता की सुरक्षा- बाजार में उपभोक्ता का शोषण कई रूपों में होता है, जैसे- कम तौलना, मिलावटी वस्तु देना, असली की जगह नकली वस्तु देना, अथवा , किसी वस्तु के बारे में गलत जानकारी देना, मूल्य से अधिक कीमत वसूलना आदि। इन सभी से उपभोक्ता के बचाव अथवा सुरक्षा के लिए बाजार में नियमों एवं विनियमों की आवश्यकता होती है।
(ख) कानूनी संरक्षण- यदि कोई उपभोक्ता, बाजार के शोषण का शिकार होता है तो बाजार के नियमों एवं विनियमों के माध्यम से अपनी क्षतिपूर्ति वसूल कर सकता है।
Q4.) उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी ?
उत्तर:- क्योंकि उपभोक्ता लोग उत्पादकों, व्यापारियों और दुकानदारों से अनेक प्रकार से ठगे जाते थे इसलिए सरकार ने 1986 ई० में उपभोक्ता अधिनियम पास किया। इस अधिनियम की अनेक कारणों से बड़ी आवश्यकता थी-
(क) उपभोक्ता जागरूकता इसलिए आवश्यक है क्योंकि अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर दोनों उत्पादक, व्यापारी और दुकानदार कोई भी गलत काम कर सकते हैं।
(ख) उपभोक्ता जागरूकता की आवश्यकता तब अधिक महसूस हुई जब कुछ बेईमान व्यापारियों ने जन-साधारण के जीवन से ही खेलना शुरू कर दिया और घी, तेल, दूध, मक्खन, खोया और मसालों आदि में मिलावट करनी शुरू कर दी। इससे बुरा और क्या हो सकता है। कोई भी सरकार उत्पादकों, व्यापारियों या दुकानदारों की इस उद्दण्डता को सहन नहीं कर सकता। अधिक कीमत ले लेना इतना हानिकारक नहीं जितना कि खाने-पीने की चीजों की मिलावट कर देना। इसलिए उपभोक्ता जागरूकता की बड़ी आवश्यकता है।
Q5.) दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।
उत्तर:- (i) उपभोक्ता की सुराक्षा के लिए सिर्फ नियमों एवं विनियमों का निर्माण ही काफी नहीं है बल्कि, इन नियमों के प्रति उपभोक्ता को जागरूक भी रहना चाहिए, तभी उसकी सुरक्षा वास्तविक रूप से हो सकती है।
(ii) उपभोक्ता जागरूकता से उत्पादकों तथा विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ताओं के शोषण पर लगाम लगायी जा सकती है। माप-तौल में गड़बड़ी, गलत सामान या गलत सूचना देकर सामान बेचने की स्थिति में उपभोक्ता को अपने यथोचित अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए।
(iii) उपभोक्ता के जागरूक होने से ही उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा मिलेंगा तथा विक्रेताओं के अनैतिक एवं अनुचित व्यवस्था शैली पर रोक लगेगी। उपभोक्ता आंदोलन की सफलता के लिए उपभोक्ताओं का जागरूक होना आवश्यक है।
Q6.)अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्त्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर:- उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन शोषण के विरुद्ध अपने अधिकारों और कर्त्तव्यों को जानकर कर सकते हैं। उन्हें जागरूक रहने की आवश्यकता है यदि उपभोक्ता यह चाहते हैं कि उनके अधिकार सुरक्षित रहें तब उन्हें कुछ कर्त्तव्यों को भी पूरा करना होगा। ऐसे कर्तव्य निम्नांकित हैं-
(क) जैसे की बाजार से सामान खरीदते समय वह उसकी गुणवत्ता को अवश्य देखें।
(ख) उपभोक्ता के लिए यह उचित व लाभकारी होगा कि वे जहाँ तक सम्भव हो सके वही माल खरीदें जिन पर आई० एस० आई० (ISI) या एगमार्क (Agmark) का निशान लगा हुआ हो।
(ग) जहाँ तक हो सके उन्हें खरीदे हुए सामान व सेवा की रसीद अवश्य लेनी चाहिए।
(घ) उपभोक्ताओं को अपने उपभोक्ता संगठन अवश्य बनाने चाहिए ताकि वे इकट्ठे मिलकर सरकार के सामने उपभोक्ता संरक्षण सम्बन्धी अपनी माँगें रख सकें।
(ङ) उपभोक्ता का यह मुख्य कर्त्तव्य है कि जब कोई उत्पादक व्यापारी या दुकानदार किसी भी प्रकार से उसे ठगने की कोशिश करे तो वह चुप बैठ न जाए वरन् उपभोक्ता अदालत में उसकी शिकायत अवश्य करें।
(च) उपभोक्ताओं का यह कर्त्तव्य है कि वे अपने अधिकारों की जानकारी रखें और अवसर आने पर उनका प्रयोग भी करे।
Q7.) भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा करें।
उत्तर:- उपभोक्ता आंदोलन अनेक प्रकार के ग्राहकों के उत्पादकों, व्यापारियों और दुकानदारों द्वारा अन्धाधुन्ध ठगे जाने के कारण शुरू हुआ। कब तक लोग इस अन्याय को बर्दास्त कर सकते थे। कभी उन्हें तेल, घी, शक्कर आदि में होने वाली मिलावट का सामना करना पड़ता था, कई बार कंकड़ वाली दालें और मसालें आदि खाने पड़ते थे, कई बार उन्हें कम तौल भी मिलता था परन्तु हर बार उनसे अनुचित दाम लिए जाते थे। हर चीज की कोई हद होती है, हद से बढ़ जाने के बाद आंदोलन उठना प्रायः स्वाभाविक ही बन जाता है। अंत में तंग होकर उपभोक्ताओं ने 1960 के दशक में इस आर्थिक शोषण के विरुद्ध अपना आंदोलन चलाया। अंत में सरकार को 1986 ई० में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पास करना पड़ा।
Q8.) उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 में दिए गए उपभोक्ताओं के अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर:- उपभोक्ता सुरक्षा कानून 1986 ई० के अनुसार उपभोक्ताओं को दिए गए अधिकार इस प्रकार हैं-
अधिकार-
(क) सुरक्षा का अधिकार- उपभोक्ता को अधिकार है कि वे उन वस्तुओं की बिक्री से अपना बचाव कर सकें जो उनके जीवन और संपति के लिए खतरनाक है।
(ख) सूचना का अधिकार- इसके अंतर्गत, गुणवत्तां, मात्रा, शुद्धता, स्तर और मूल्य आते हैं।
(ग) चुनने का अधिकार- विभिन्न वस्तुओं को देख-परख कर चुनाव करने का अधिकार ।
(घ) सुनवाई का अधिकार- उपभोक्ता के हितों से जुड़े उपयुक्त संस्थाएँ / संगठन उपभोक्ताओं की समस्याओं पर पूरा ध्यान दें।
(ङ) शिकायतें निपटाने का अधिकार- उपभोक्ताओं के शोषण व उनकी अनुचित व्यापारिक क्रियाओं के विरुद्ध निदान और शिकायतों को सही प्रकार से निपटाना।
(च) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार- इसमें उपभोक्ता हित से जुड़े प्रसंगों और वस्तुओं की जानकारी सम्मिलित है।