Jac board economics class 10 chapter 3 mudra aur sakh question answer | hindi medium

Jac Board Class 10 Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 अर्थशास्त्र | Class 10 Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

सभी अध्यायों के लिए अर्थशास्त्र NCERT पुस्तक समाधान Smart Classes के Teachers और Experts के द्वारा बिलकुल आपकी भाषा में तैयार किया गया है | ताकि आप समाधान को समझ सके और आसानी से याद कर सके |

Jac board economics class 10 chapter 3 mudra aur sakh question answer

Hindi Medium के लिए कक्षा 10 अर्थशास्त्र NCERT समाधान  जो की NCERT पुस्तक समाधान नवीनतम CBSE, JACऔर NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है | NCERT पुस्तक समाधान हर साल Smart Classes के द्वारा Update किया जाते है | इसलिए कक्षा 10 के लिए NCERT पुस्तक समाधान भी  Smart Classes के द्वारा वर्ष 2023 – 24 के लिए Update किया गया है | 

economics class 10 chapter 3 mudra aur sakh Hindi Medium के छात्रों के लिए Hindi में  कक्षा 10 अर्थशात्र  NCERT पुस्तक समाधान के सभी अध्याय नवीनतम CBSE, JAC और NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है | 

Economics class 10 chapter 3 mudra aur sakh

Economics class 10 chapter 3 mudra aur sakh

Tw Smart Classes , students, teachers, & tutors के requirments के मुताबिक सभी study materials तैयार करती है | हमारे द्वारा और भी study materials तैयार किये जाते है |

हमारे द्वारा तैयार किये गए  ncert book solution  कुछ इस तरह रहेगी >>

  • 1 अंक वाले महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
  • अभ्यास 

अध्याय 2:मुद्रा और साख (Money and Credit)

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

Q1.)नई आर्थिक नीति कब बनी ? 

(1) 1918 ई०,

(2) 1920 ई०,

(3) 1919 ई०,

(4) 1991 ई० ।

उत्तर:- (4) 1991 ई० ।

Q2.) भारत में केंद्रीय बैंक का नाम ____ है।

(1) भारतीय बैंक,

(2) भारतीय स्टेट बैंक,

(3) केंद्रीय बैंक,

(4) भारतीय रिजर्व बैंक।

उत्तर:- (4) भारतीय रिजर्व बैंक।

Q3.) भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्य कार्य है-

(1) ऋण प्रदान करना,

(2) विश्व बैंक से लेन-देन करना,

(3) साख नियंत्रण,

(4) इनमें कोई नहीं।

उत्तर:- (3) साख नियंत्रण

Q4.) भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण ___ को हुआ था।

(1) 1 अप्रैल, 1947,

(2) 1 अप्रैल, 1948,

(3) 1 अप्रैल, 1949,

(4) 1 अप्रैल, 1960.

उत्तर:- (3) 1 अप्रैल, 1949,

Q5.) वस्तु के बदले वस्तु के आदान-प्रदान की प्रणाली को कहा जाता है-

(1) वस्तु विनिमय प्रणाली

(2) विनिमय प्रणाली,

(3) मौद्रिक प्रणाली,

(4) क्रेडिट सिस्टम।

उत्तर:- (1) वस्तु विनिमय प्रणाली

Q6.) किस विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं का दोहरा संयोग होना अनिवार्य विशिष्टता है ?

(1) मुद्रा अर्थव्यवस्था,

(2) वस्तु विनिमय प्रणाली,

(3) वैश्विक अर्थव्यवस्था,

(4) इनमें कोई नहीं।

उत्तर:- (2) वस्तु विनिमय प्रणाली,

Q7.) भारत में करेंसी नोट कौन जारी करता है ?

(1) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया

(2) सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया,

(3) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया,

(4) पंजाब नेशनल बैंक ।

उत्तर:- (3) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया,

Q8.) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है-

(1) बैंक,

(2) नियोक्ता,

(3) सहकारी समिति,

(4) इनमें सभी।

उत्तर:- (2) नियोक्ता

Q9.) निम्न में से कौन गरीब ग्रामीण परिवारों के लिए ऋण का औपचारिक स्रोत है ?

(1) व्यापारी,

(2) जमींदार,

(3) वाणिज्यिक बैंक,

(4) साहूकार ।

उत्तर:- (3) वाणिज्यिक बैंक

Q10.) निम्नांकित में कौन-सा प्लास्टिक मुद्रा का उदाहरण है ?

(1) चेक,

(2) ड्राफ्ट,

(3) क्रेडिट कार्ड,

(4) डिमांड ड्राफ्ट ।

उत्तर:- (3) क्रेडिट कार्ड,

Q11.) भारत में निम्नांकित में से कौन-सी मुद्रा अपनाई जाती है ?

(1) डॉलर,

(2) पाउंड,

(3) EURO,

(4) रुपया।

उत्तर:- (4) रुपया।

Q12.) ऋण के अनौपचारिक स्रोत में शामिल है-

(1) व्यापारी

(2) सहकारी संमितियाँ,

(3) बैंक 

(4) इनमें कोई नहीं।

उत्तर:- (1) व्यापारी

Q13.) भारत में बैंक कुल जमा राशि का कितना प्रतिशत नकद के रूप में अपने पास रखते हैं ?

(1) 10%,

(2) 12%,

(3) 15%,

(4) 20%.

उत्तर:- (3) 15%

Q14.) एक देश में कितने केंद्रीय बैंक होते हैं ?

(1) 2,

(2) 3,

(3) 1,

(4) 5.

उत्तर:- (3) 1

Q15.) मुद्रा का प्राथमिक कार्य है-

(1) विनिमय का माध्यम,

(3) मूल्य का हस्तांतरण,

(2) मूल्य का मापन,

(4) राष्ट्रीय आय का वितरण।

उत्तर:- (1) विनिमय का माध्यम

Q16.) साख की शर्तों में यह शामिल नहीं होता-

(1) ब्याज दर,

(2) समर्थक ऋणाधार,

(3) चेक,

(4) भुगतान के तरीके।

उत्तर:- (3) चेक

Q17.) बैंकों के लिए आय का प्रमुख स्रोत क्या है ?

(1) कर्जों पर ब्याज,

(2) जमा पर ब्याज,

(3) कर्जदारों और जमाकर्ताओं पर लगाए गए ब्याज के बीच का अंतर,

(4) इनमें कोई नहीं।

उत्तर:- (3) कर्जदारों और जमाकर्ताओं पर लगाए गए ब्याज के बीच का अंतर,

Q18.) निम्नांकित में से कौन-सी शर्त कर्ज लेने में शामिल नहीं है?

(1) ब्याज दर,

(2) समर्थक ऋणाधार,

(3) दस्तावेज,

(4) कर्जदार की भूमि ।

उत्तर:- (4) कर्जदार की भूमि ।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

Q1.) मुद्रा की परिभाषा दें।

उत्तर:- साधारण शब्दों में मुद्रा का अर्थ है धन-दौलत जिसके इर्द-गिर्द सारी आर्थिक गतिविधियाँ घूमती हैं।

Q2.) मुद्रा के आधुनिक रूप कौन से हैं ?

उत्तर:- मुद्रा के आधुनिक रूप निम्नांकित हैं:-

(क) करेंसी नोट तथा सिक्के,

(ख) बैकों में निक्षेप अथवा जमा,

(ग) क्रेडिट कार्ड एवं इंटरनेट बैंकिंग।

Q3.) मुद्रा के प्रयोग के दो तरीके या ढंग बताएँ।

उत्तर:- मुद्रा के प्रयोग के तरीके-

(क) मुद्रा का प्रयोग अनेक प्रकार की चीजें खरीदने और बेचने में किया जाता है।

(ख) मुद्रा का प्रयोग विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्राप्त करने में भी किया जा सकता है। जैसे- डॉक्टर की सलाह लेने में, वकील से परामर्श लेने में आदि।

Q4.) वस्तु विनिमय प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर:- वह प्रणाली जिसमें मुद्रा का उपयोग किए बिना लोग अपनी आवश्यकताओं की वस्तुओं की पूर्ति वस्तुओं के विनिमय के माध्यम से करते हैं, वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है।

Q5.) ‘जब दोनों पक्ष एक दूसरे से चीजे खरीदने और बेचने पर सहमति रखते हों। इसे क्या कहा जाता है ?

उत्तर:- “जब दोनों पक्ष एक दूसरे से चीजे खरीदने और बेचने पर सहमति रखते हों। तो इसे विनिमय कहा जाता है।

Q6.) बैंक मुख्यतः कितने प्रकार के होते. हैं ?

उत्तर:- बैंक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

(क) व्यावसायिक बैंक,

(ख) केन्द्रीय बैंक।

Q7.) व्यावसायिक (वाणिज्यिक) बैंक किसे कहते हैं ?

उत्तर:- व्यावसायिक बैंक वह संस्था है जो लाभ के उद्देश्य से मुद्रा के जमा, लेन-देन तथा ऋण की सेवाएँ प्रदान करता है। इसके लिए वह जनता, फर्मों तथा सरकार से जमा स्वीकार करता है। उनके चेक या आदेश पर भुगतान (आहरण) करता है। जमा का प्रयोग ऋण या निवेश के लिए करता है।

Q8.) भारत में केन्द्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट कौन जारी करता है ? 

उत्तर:- भारत में करेंसी नोट जारी करने का अधिकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को है।

Q9.) ‘केन्द्रीय बैंक’ से क्या अभिप्राय है ? हमारे देश के केन्द्रीय बैंक का नाम लिखें।

उत्तर:- देश की मौद्रिक व्यवस्था के शीर्ष पर स्थित बैंक को केन्द्रीय बैंक कहा जाता है, जिसका मुख्य कार्य देश की मौद्रिक नीतियों की रचना, संचालन, नियमन, निर्देशन और नियंत्रण होता है। हमारे देश के केन्द्रीय बैंक का नाम ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया” है।

Q10.) दस रुपये के नोट पर लिखा है- “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ। इसका क्या अर्थ है ?

उत्तर:- इसका अर्थ यह है कि दस रुपये के नोट के साथ किसी भी दस रुपये की वस्तु का मूल्य संग्रहित है। सरकार इन नोटों के निर्गमन से पहले उतना ही मूल्यमान, जैसे- सोना, प्रतिभूति आदि को अर्थव्यवस्था में संचित रखती है।

Q12.) औपचारिक ऋण क्या है ?

उत्तर:- औपचारिक प्रक्रियाओं को पूरा कर बैंकों या सहकारी संगठनों से लिए गए ऋण को औपचारिक ऋण कहते हैं।

Q13.) अनौपचारिक ऋण क्या है ?

उत्तर:- साहूकारों, व्यापारियों, मालिकों, रिश्तेदारों और मित्रों आदि से लिए जाने वाले ऋण औपचारिक ऋण कहलाते हैं। इस प्रकार के ऋण को लेने में कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं पूरी करनी पड़ती। ये सामान्यतः औपचारिक ऋण से महँगे होते हैं।

Q14.) साख की परिभाषा दें।

उत्तर:- साख (ऋण) से हमारा तात्पर्य सहमति से है, जहाँ ऋणदाता कर्जदार को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ उपलब्ध कराता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है।

Q15.) विनिमय का माध्यम किसे कहा जाता है ?

उत्तर:- मुद्रा को विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

Q16.) मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों कहा जाता है ?

उत्तर:- क्योंकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

Q17.) चेक क्या है ?

उत्तर:- चेक एक विशिष्ट कागजी दस्तावेज होता है, जिस पर बैंक को निर्देश दिया जाता है कि वह चेक देने वाले व्यक्ति या संस्था के खाते से निर्देशित व्यक्ति या संस्था को भुगतान करें।

Q18.) बैंकों में जमा की गई राशि को माँग मुद्रा क्यों कहते हैं ?

उत्तर:- क्योंकि जमा की गई राशि माँग करने पर प्राप्त की जा सकती है।

Q19.) ऋण की शर्तों का उल्लेख करें।

उत्तर:- ब्याज दर, समर्थक ऋणाधार, आवश्यक कागजात और भुगतान के तरीकों को सम्मिलित रूप से ऋण की शर्तें कहा जाता है। ऋण की शर्त में एक ऋण व्यवस्था से दूसरी ऋण व्यवस्था में काफी फर्क आ जाता है। कर्ज की शर्तें उधारदाता और कर्जदार की प्रकृति पर भी निर्भर करती है।

Q20.) मुद्रा के कोई दो कार्य लिखें।

उत्तर:- मुद्रा के दो कार्य हैं-

(क) विनिमय का माध्यम- मुद्रा का विनिमय माध्यम के रूप में वस्तुओं और सेवाओं के क्रय-विक्रय के रूप में किया जाता है।

(ख) मूल्य का मापन- वस्तुओं तथा सेवाओं के क्रय-विक्रय में सरलता के लिए मूल्य का मापन किया जाता है। जैसे ₹20 प्रति किलो, ₹30 प्रति दर्जन, ₹25 प्रति लीटर आदि।

लघु/दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Q1.) क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते ?

उत्तर:- कई बार बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते, इसके मुख्य कारण निम्नांकित हैं-

(क) कुछ कर्जदार बैंकों को अपनी आय का प्रमाणपत्र देने में असमर्थ रहते हैं।

(ख) कुछ लोग अपनी नौकरी के विषय में बैंकों को ब्योरा उपलब्ध नहीं करा सकते।

(ग) कुछ लोग कर्जे के बदले में भूमि, पशु, सम्पत्ति आदि के रूप में ऋणाधार उपलब्ध नहीं करा सकते।

(घ) कुछ लोग गारंटी देने वाले दो लोगों को नहीं ला सकते। जो कर्ज न देने पर उनका कर्ज चुकाने की गारंटी दे सके।

Q2.) वस्तु विनिमय की कठिनाइयों की व्याख्या करें।

उत्तर:- वस्तु विनिमय प्रणाली के दोष अथवा कठिनाइयाँ निम्नांकित हैं-

(क) ऐसा विनिमय जिसमें भुगतान, भविष्य में किया जाना होता है, भविष्य में दी जानेवाली वस्तु के मूल्यमान में उतार-चढ़ाव का जोखिम बना रहता है, जिससे किसी एक पक्ष को हानि की संभावना बनी रहती है।

(ख) वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यमान के इकाई का अभाव, अर्थात यदि एक व्यक्ति को पाँच मीटर कपड़े की आवश्यकता है तथा उसे वह अपने पास के गेहूँ से बदलना चाहता है, तब प्रति मीटर कपड़े के लिए उसे कितना गेहूँ देना होगा निश्चित नहीं कर पाता।

(ग) वस्तु विनिमय प्रणाली द्विपक्षीय संयोग पर आधारित प्रक्रिया है अर्थात् एक व्यक्ति, किसी ऐसे दूसरे व्यक्ति की तलाश में रहता है जो वही चीज बेचना चाहता है, जिसे पहला व्यक्ति खरीदना चाहता है। 

(घ) वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य या धन संचय का कोई स्थान नहीं होता। इस व्यवस्था में सिर्फ वस्तुओं का भंडारण किया जा सकता है। उससे वस्तुओं के खराब होने की संभावना बनी रहती है।

Q3.) भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है ? यह जरूरी क्यों है ?

उत्तर:- रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की आर्थिक गतिविधियों पर निम्नांकित तरीके से नजर रखता है-

(क) हर बैंक अपने पास जमा पूँजी की एक न्यूनतम राशि रखता है। रिजर्व बैंक इस बात का ध्यान रखता है कि प्रत्येक बैंक ने वह न्यूनतम राशि अपने पास रखती है या नहीं।

(ख) रिजर्व बैंक इस बात पर भी नजर रखता है कि बैंक केवल लाभ कमाने वाली इकाइयों और व्यापारियों को ही तो ऋण नहीं दे रहें हैं, बल्कि वे छोटे किसानों, छोटे उद्योग चलाने वालों और छोटे ऋण प्राप्त करने वालों को भी ऋण दें ताकि जन-साधारण का कल्याण हो सके।

(ग) रिजर्व बैंक विभिन्न बैंकों से यह भी निरन्तर जानकारी प्राप्त करता रहता है कि वे किन-किन को कर्ज दे रहे हैं और यह कि ब्याज दर से किसी से अन्याय न हो सके और कोई ठगा न जाए।

Q4.) हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?

उत्तर:- (क) ऋण के मुख्य दो स्रोत हैं- औपचारिक और अनौपचारिक। औपचारिक ऋण वह है जो बैंकों या सहकारी समितियों से प्राप्त होते हैं जबकि अनौपचारिक ऋण वे हैं जो साहूकारों, व्यापारियों, मित्रों एवं रिश्तेदारों आदि से प्राप्त होते हैं।

(ख) औपचारिक ऋणों में ब्याज दर प्रायः साधारण होता है (8 से 10% तक) जबकि अनौपचारिक ऋण चार से छः गुणा अधिक महंगा होता है।

(ग) अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेने वाले को अनेक प्रकार से शोषणों का शिकार बनना पड़ता है। यदि किसान यह ऋण किसी व्यापारी से लेता है तो वह चाहेगा कि किसान उसे अपना अनाज सस्ते दामों मे बेचे।

उपरोक्त विवरण से पता चलता है कि भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की बड़ी आवश्यकता है ताकि विभिन्न प्रकार के ऋण लेने वालों को सस्ती दर पर ऋण मिल सके और शोषण से भी उनका बचाव हो सके।

मानव भी निश्चित रूप से ऋण बैंक से ही लेगा न कि साहूकारों से क्योंकि एक तो वह सूद की ऊँची दर से बचेगा और दूसरे वह साहूकार द्वारा अपनाए जानेवाले शोषण से बचेगा।

Q5.) विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण करें।

उत्तर:- विकास में ऋण की भूमिका-

(क) जिन लोगों के पास अपना काम चलाने के लिए धन नहीं होता वे ऋण लेकर अपना काम चला लेते हैं।

(ख) देश के विकास में ऋण की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।

(ग) ऋण ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की और शहरी क्षेत्रों में व्यापारियों और उद्योगपतियों की विशेष सहायता करता है।

(घ) ऋण साधारण लोगों के लिए भी काफी लाभकारी सिद्ध होता है। इसकी सहायता से लोग अपने घर का निर्माण कर सकते हैं, और आने-जाने के लिए कारें आदि भी खरीद सकते हैं।

ऋण की दर भी कम होनी चाहिए ताकि लोगों को ऋण चुकाने में आसानी रहे।

Q6.) ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अन्तर है ? अथवा, साख के प्रमुख स्रोतों की व्याख्या करें।

उत्तर:- साख के प्रमुख स्रोत हैं-

(क) औपचारिक ऋण,

(ख) अनौपचारिक ऋण।

ऋण के औपचारिक स्रोत-

a) इसके अन्तर्गत ऋण के वे स्रोत शामिल होते हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। इन्हें सरकारी नियमों और विनियमों का पालन करना पड़ता है। ये स्रोत हैं- बैंक और सहकारी समितियाँ।

b) भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के काम-काज पर नजर रखता है।

c) इनका उद्देश्य लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक कल्याण भी है।

d) ये सामान्यतः ऋण के अनौपचारिक स्रोतों की अपेक्षा ब्याज की कम दर माँगते हैं।

e) ये कोई अनुचित शर्त नहीं लगाते हैं।

ऋण के अनौपचारिक स्रोत-

a) इसके अन्तर्गत वे छोटी और छिटपुट इकाईयाँ शामिल होती हैं जो सरकार के नियंत्रण से प्रायः बाहर होती हैं।

यद्यपि इनके लिए भी सरकारी नियम और विनियम होते हैं परन्तु यहाँ उनका पालन नहीं किया जाता है। ये स्रोत हैं- साहूकार, व्यापारी, नियोक्ता और मित्र आदि।

b) अनौपचारिक क्षेत्र में ऐसा कोई संगठन नहीं है जो ऋणदाताओं की ऋण क्रियाओं का निरीक्षण करता हो।

c) इनका एकमात्र उद्देश्य लाभ कमाना है।

d) ये औपचारिक उधारदाताओं की तुलना में ऋणों पर ब्याज की अधिक ऊँची दर माँगते हैं।

e) ये ऊँची ब्याज दरों के अतिरिक्त अन्य कई कठोर शर्तें लगाते हैं।

Q7.) देश की अर्थव्यवस्था में बैंकों की क्या भूमिका रहती है ?

उत्तर:- देश की अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका-

(क) बैंकों में लोग अपनी बचत को जमा करते हैं, जहाँ उस पर ब्याज प्राप्त होता है तथा पैसा सुरक्षित भी रहता है।

(ख) बैंक जरुरतमंदों को ऋण देकर उनके आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

(ग) बैंकों में अधिक लोग काम में लगे होते हैं। इस प्रकार बैंक बेरोजगारी की समस्या को हल करने में भी मदद करते हैं।

(घ) बैंक देश में मुद्रा के परिचालन को नियंत्रित करते है।

Q8.) अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता प्रदान करते हैं ?

उत्तर:- साधारणतयः दो प्रकार के लोग बैंकों में जाते हैं एक वे जिनके पास अतिरिक्त धन होता है और दूसरे वे जिन्हें धन की जरूरत होती है। बैंक इन दोनों प्रकार के लोगों के बीच मध्यस्थता प्रदान करता है। जिनके पास अतिरिक्त धन होता है ऐसे जमाकर्ताओं को बैंक सूद देती है और जिन्हें धन की जरूरत होती है उनसे बैंक सूद प्राप्त करते हैं। धन कर्ज लेने वालों से बैंक सूद की ऊँची दर लेते हैं जबकि जमाकर्ताओं को वे सूद की कम दर देते हैं और इस प्रकार उनके पास जो धन बच जाता है उससे वे अपना काम चलाते हैं। बैंकों की मध्यस्थता से सब वर्गों का कल्याण हो जाता है, साथ में बैंकों का भी।

Q9.) जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट करें।

उत्तर:-

(क) निस्सन्देह, एक स्थिति में ऋण आय बढ़ाने में सहयोग करता है, जिससे व्यक्ति की स्थिति पहले से बेहतर हो जाती है। दूसरी स्थिति में, जहाँ अधिक जोखिम होता है, ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है।

(ख) उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति फसल उत्पादन के लिए ऋण लेता है। यदि किसी कारणवश उसकी फसल मारी जाती है तो वह ऋण को वापस नहीं कर पाता है।

(ग) ऐसी स्थिति में वह कर्ज चुकाने के लिए पुनः कर्ज लेता है अथवा अपनी जमीन बेचने के लिए विवश हो जाता है।

(घ) इस प्रकार परिस्थिति के खतरे इस बात को तय करते हैं कि ऋण उपयोगी होगा अथवा नहीं।

Q10.) मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है ?

उत्तर:-वस्तु विनिमय प्रणाली में जहाँ वस्तुएँ मुद्रा के प्रयोग के बिना सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, वहाँ आवश्यकताओं का दोहरा संयोग एक आवश्यक शर्त होती है। विनिमय के एक माध्यम के रूप में मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की आवश्यकता और वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों को दूर करता है। इस प्रकार, मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत आती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top