Jac Board Class 10 Political science Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 राजनितिक विज्ञान | Class 10 Political science chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन
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JAC board Class 10 political science chapter 5
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- अभ्यास
अध्याय 5:जन-संघर्ष और आंदोलन (People's Struggle and Movement)
1 अंक वाले प्रश्न
Q1.) बोलिविया के जल युद्ध का क्या कारण था?
उत्तरः- बोलिविया में पानी के निजीकरण के खिलाफ
Q2.) सन् 2006 के अप्रैल महीने में नेपाल में एक विलक्षण जन-आंदोलन हुआ। इस आंदोलन का क्या उद्देश्य था।
उत्तरः- लोकतंत्र कायम करना
Q3.) नेपाल में कब लोकतंत्र स्थापित हुआ ?
उत्तरः- 1990 ई.
Q4.) उन समूहों को क्या कहते हैं जो सरकार नीतियों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं ?
उत्तरः- दबाव समूह
Q5.) उन संगठनों को क्या कहते हैं जो अपने हितों को बढ़ावा देने के लिए बने हों?
उत्तरः- हित समूह
Q6.) ‘जन संघर्ष प्रजातंत्र के कामकाज का अभिन्न अंग है।’ किसी एक ‘जन संघर्ष’ का उदाहरण दीजिए।
उत्तरः- बोलिविया में जल के निजीकरण के विरूद्ध जन-संघर्ष
Q7.) जन-आंदोलन की एक विशेषता लिखिए।
उत्तरः- इसका एक कमजोर संगठन होता है
Q8.) जन-हितकारी समूहों का उदाहरण दीजिए।
उत्तरः- पिछड़ा तथा अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी संगठन (बामसेफ)
Q9.) फेडेकोर क्या है ?
उत्तरः- इस संगठन में इंजीनियर और पर्यावरणवादी समेत स्थानीय कामकाजी लोग शामिल थे।
Q10.) नेपाल का लोकतांत्रिक आंदोलन एवं बोलिविया जल युद्ध के बीच क्या समानता थी?
उत्तरः- जनता की लामबंदी।
3/5 अंक वाले लघु/दीर्घ वाला प्रश्न
Q1.) दबाव समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है, वर्णन करें।
उत्तर:- (क) दबाव समूह प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में भाग नहीं लेते हैं, लेकिन अपनी गतिविधियों से राजनीतिक दलों को प्रभावित अवश्य करते हैं।
ख) अधिकांश दबाव समूह किसी-न-किसी राजनीतिक दल से जुड़े होते हैं तथा राजनीतिक दलों के सहयोग और परामर्श से अपनी गतिविधियों का संचालन करते हैं। ऐसे दबाव समूहों के शीर्ष पदों पर राजनीतिक दल के नेता विराजमान होते हैं। उदाहरण- अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, भारतीय जनता पार्टी से तथा एन० एस० यू० आई० काँग्रेस से संबंधित है।
(ग) राजनीति दल के अधिकांश नेता दबाव-समूहों से आते हैं।
(घ) कई दबाव समूह राजनीतिक दलों की शाखा के रूप में कार्य करते हैं।
(ङ) कुछ दबाव समूहों का निर्माण राजनीतिक दलों के द्वारा ही किया जाता है तथा कुछ दबाव समूह आगे चलकर राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं।
Q2.) दबाव-समूह और आंदोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:- जब कुछ लोग अपने विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संगठित होते हैं तो उनके इस संगठनों को हित-समूह कहा जाता है। ऐसे दबाव-समूह स्वयं राजनीति से किनारा रखते हैं क्योंकि या तो उनके मन में राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की इच्छा ही नहीं होती, या जरूरत ही नहीं होती या उनमें राजनीतिक कौशल का अभाव होता है। वे तो राजनीतिक दलों और सरकार पर दबाव डालकर अपनी माँगों को मनवाना चाहते हैं और इस प्रकारे वे अनेक प्रकार से राजनीति को प्रभावित करते हैं।
(क) विभिन्न दबाव-समूह और आंदोलन अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिए जनता की सहानुभूति और समर्थन प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे में वे बैठकें करते हैं, जुलूस निकालते हैं और सूचना अभियान चलाते हैं। केवल जनता को ही नहीं ऐसे दबाव-समूह मीडिया को भी प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं ताकि मीडिया उनके मसलों पर ध्यान दे और ऐसे में सरकार और जनता का ध्यान उनकी ओर आकर्षित हो।
(ख) ऐसे दबाव-समूह केवल सूचना अभियान तक ही सीमित नहीं रहते वरन् वे धरना भी देते हैं हड़तालें भी करते हैं और सरकारी कामकाज में बाधा भी डालते हैं ताकि सरकार उनकी माँगों को जल्दी से माने, बहुत से मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ आदि ऐसे ही तरीकों को अपनाते हैं ताकि सरकार पर दबाव बना रहे।
(ग) कुछ दबाव समूह अपनी बात को लोगों तक पहुँचाने और सरकार को जगाने और सोए हुए को जगाने के लिए महंगे विज्ञापनों का सहारा भी लेते हैं।
(घ) कुछ दबाव-समूह विपक्ष के नेताओं को भी अपने पक्ष में लाने का प्रयत्न करते हैं और उनसे भाषणबाजी तक करवा देते हैं। अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दल भी इन दबाव-समूह को अपने पक्ष में करने का प्रयत्न करते हैं।
Q3.) दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है ?
उत्तर:- दबाव समूह तथा राजनीतिक दल में अंतर-
दबाव समूह:-
- ये सरकार में प्रत्यक्ष भागीदार नहीं होते।
- इनका संगठन ढीला-ढाला होता है।
- इनका प्रभाव सीमित होता है।
- इनका लक्ष्य छोटी-अवधि वाला होता है।
राजनीतिक दल:-
- ये सरकार में प्रत्यक्ष भागीदार होते हैं।
- ये पूरी तरह संगठित होते हैं।
- इनका विस्तार क्षेत्र राष्ट्रीय स्तर पर होता है।
- इनका लक्ष्य लम्बी अवधि वाला होता है।
Q4.) दबाव-समूह क्या है ? कुछ उदाहरण बताएँ।
उत्तर:- जब कुछ लोग अपनी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए संगठन बनाते हैं तो ऐसे संगठनों को दबाव समूह या हित-समूह का नाम दिया जाता है। ऐसे लोगों का उद्देश्य राजनीति में प्रत्यक्ष भागीदारी का नहीं होता। शायद ऐसे लोगों को राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सेदारी की इच्छा ही न हो अथवा उन्हें ऐसा करने की कोई जरूरत महसूस न होती हो या उनके पास किसी जरूरी कौशल का अभाव हो।
ऐसे दबाव-समूह थोड़े समय के लिए अस्तित्व में आते हैं और अपने सीमित उद्देश्यों की पूर्ति के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं। जैसे वोलीविया में सन् 2000 में पानी के प्रश्न पर कुछ लोगों का दबाव समूह बना और उनके आंदोलन करने पर सरकार को आंदोलनकारियों की सभी मांग माननी पड़ी और जैसे ही बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ किया गया करार रद्द कर दिया वैसे ही यह जल के प्रश्न पर बनाया गया दबाव-समूह भी समाप्त हो गया।
किसी भी लोकतंत्रीय सरकार में ऐसे दबाव समूह बनते रहते हैं। कभी वकील लोग, कभी अध्यापक लोग और कभी दुकानदार अपने-अपने हितों की पूर्ति के लिए दबाव समूह बनाते रहते हैं, राजनीतिक दलों और सरकार पर दबाव डालकर अपने हितों के पक्ष में प्रदर्शन भी करते हैं और जैसे ही मांगे पूरी हो जाती है वे कपूर की भांति गायब हो जाते हैं। निरंतर बने रहना न उनकी इच्छा होती है और न उनका सामर्थ्य।
Q5.) दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती है ? किन्हीं चार का वर्णन करें।
उत्तर:-विभिन्न दबाव समूह अपने ही ढंग से लोकतंत्र की सेवा करते हैं और उसकी जड़ें मजबूत करते हैं।
(क) ये विभिन्न दबाव समूह सरकार को आम नागरिकों की कठिनाइयों और आवश्यकताओं से अवगत कराते हैं।
(ख) ये हित समूह विभिन्न प्रकार के दबावों में संतुलन बनाए रखते हैं। यदि एक दबाव समूह अपनी बात मनवाने के लिए सरकार पर अनुचित दबाव डालता है तो बाकी हित समूह इस अनुचित दबाव को विफल कर देते हैं।
(ग) विभिन्न प्रकार के दबाव समूह के विरोध और प्रतिविरोध से सरकार को यह पता चलता है कि जनता क्या चाहती है।
(घ) जब कभी सरकार कुछ धनी व्यक्तियों अथवा सशक्त व्यक्तियों के दबाव में आ जाती है तो दबाव समूह सरकार को इस अनुचित दबाव से मुक्त कराती है।
इस प्रकार दबाव समूह सरकार के कामकाज में उपयोगी सिद्ध होता है।
Q6.) दबाव समूह समाज के किसी खास तबके के हितों एवं दृष्टिकोणों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं। विवेचना करें।
उत्तर:- (क) समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा विचारधारा के लोगों का वह समूह जो अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सरकार पर दबाव डालता है, दबाव समूह के नाम से जाना जाता है।
(ख) दबाव समूह ऐसे लोगों का औपचारिक संगठन है, जिनके साझा हित एवं स्वार्थ होते हैं। दबाव समूह सार्वजनिक नीति निर्माण से संबंधित पहलुओं को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
(ग) दबाव समूह समाज किसी खास हिस्से या समूह के हितों एवं दृष्टिकोणों को संगठित रूप से अभिव्यक्त करते हैं। व्यावसायिक संघ व्यवसायियों के हितों के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं। उसी प्रकार कृषक संगठन कृषि के क्षेत्र में सरकार की नीतियों एवं फैसलों पर दबाव डाल सकते हैं। एक कृषक संगठन शिक्षकों के कल्याण के लिए दबाव नहीं डालता, उसी प्रकार शिक्षक संघ सिंचाई की सुविधाओं की माँग नहीं करता।
(घ) ऑल इंडिया रेलवे मैन्स एसोसिएशन, ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, मुस्लिम मजलिस, स्टुडेन्ट फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ इन्डियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इन्डस्ट्रीज आदि दबाव समूहों के कुछ उदाहरण हैं।
Q7.) चुनाव घोषणा पत्र क्या होता है ? इसका महत्व बताइए।
उत्तरः- इसमें राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने कार्यक्रमों, नीतियों तथा उद्देश्यों का विवरण स्पष्ट रूप से लिखा होता है।
महत्व :-
- इसके द्वारा किसी दल की आंतरिक या बाहरी नीतियों का पता चलता है|
- चुनाव पश्चात् किए जाने वाले कार्यों की जानकारी मिलती है।
- इसमें वर्णित कार्य कराने के लिए जनता सरकार पर दबाव डालती
Q8.) निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए :-
(क) फेडेकोर
(ख) निर्वाचन
(ग) सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार
(घ) चुनाव याचिका
उत्तरः-
- फेडेकोर-फेडेकोर बोलिविया के समस्त हित-समूहों का एक संयुक्त परिसंघ है।
- निर्वाचन-मतदाता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करता है। सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार 18 वर्ष या अधिक के आयु के सभी नागरिकों को सरकार के निर्वाचन में मत देने का अधिकार।
- चुनाव याचिका-चुनाव के वक्त गलत तरीकों का प्रयोग करके मतदान को प्रभावित करने पर किसी भी सदस्य द्वारा न्यायालय में चुनाव याचिका प्रस्तुत की जाती है जिसका न्यायालय परीक्षण करता है।
Q9.) नेपाल और बोलिविया के जनसंघर्षों की दो-दो समानताओं और दो-दो असमानताओं को बताइए?
उत्तरः-
समानताएँ
- ये दोनों लोकतांत्रिक आंदोलन थे।
- ये दोनों संघर्ष में सफल रहे।
- ये दोनों पूरे विश्व के लोकतंत्रवादियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
- ये दोनों राजनीतिक संघर्ष के उदाहरण हैं।
असमानताएँ
- नेपाल में संघर्ष देश की राजनीति के आधार पर संबंधित था।
- बोलिविया का संघर्ष किसी विशेष नीति से संबंधित था।
Q10.) हित समूह के तीन कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः- हित समूह के कार्य –
- जनमत का निर्माण
- हड़तालों और प्रदर्शनों की व्यवस्था करना।
- निर्वाचन के समय राजनीतिक दलों को समर्थन