JAC board Class 10 political science chapter 4 important questions

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JAC board Class 10 political science chapter 4

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अध्याय 4:जाती धर्म और लैंगिक मसले (Cast, Religion and Gender)

1 अंक वाले प्रश्न :-

Q1.) समाज द्वारा स्त्री और पुरूष को दी गई असमान भूमिकाएँ क्या कहलाती हैं ?

उत्तरः- लैंगिक विजाजन।

Q2.) भारत में औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था किन प्रतिनिधि संस्थाओं में है ?

उत्तर:- पंचायती राज की संस्थाओं में।

Q3.) 2001 की जनगणना के अनुसार भारत के किन राज्यों में लिंगानुपात 800 से भी कम है?

उत्तर:- पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और गुजरात।

Q4.) स्थानीय सरकारों में महिलाओं के लिए कितने प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है ?

उत्तरः- 33 प्रतिशत

Q5.) लिंगानुपात किस कहते हैं ?

उत्तर:- प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या।

Q6.) ‘धर्म को राजनीति से कभी भी अलग नहीं किया जा सकता’ ये शब्द किसने कहे हैं ?

उत्तरः- महात्मा गाँधी।

Q7.) एक ऐसे समुदाय के लोग जो साधारणतया पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों में रहते हैं और जिनका बाकी

उत्तर:- अनुसूचित जनजाति 

प्रश्न 8 उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करते हैं?

उत्तर:- शहरीकरण

3/5 अंक वाले प्रश्न

Q1.) जीवन में उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है।

उत्तरः-

  • महिलाओं के ऊपर पूरा घरेलू दायित्व। मुरूषों का अत्यधिक नियंत्रण।
  • व्यवस्थापिकाओं में कम प्रतिनिधित्व।
  • कन्या भ्रूण हत्या स्त्री शिक्षा को कम महत्व।
  •  पारिश्रमिक वितरण में असमानता।

Q2.) जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं किये जा सकते। कारण लिखिए।

उत्तर:-

  •  मतदाताओं में जागरूकता कई बार मतदाता जातीय भावना से ऊपर उठकर मतदान करते हैं।
  • मतदाताओं द्वारा अपने आर्थिक हितों और राजनीतिक दलों को प्राथमिकता।
  • किसी एक संसदीय क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत न होना। 
  • मतदाताओं द्वारा विभिन्न आधारों पर मतदान करना।

Q3.) भारत को एक धर्म निरपेक्ष राज्य बनाने वाले विभिन्न प्रावधान कोन-कौन से हैं?

उत्तरः-

  • भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है।
  • भारत में सभी धर्मों को एक समान महत्व दिया गया है।
  •  प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता है।
  • भारतीय संविधान धार्मिक भेदभाव को असंवैधानिष्फ घोषित करता

Q4.) भारत सरकार ने नारी असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए हैं ?

उत्तरः-

  • दहेज को अवैध घोषित करना। पारिवारिक सम्पत्तियों में स्त्री-पुरुष को बराबर हक।
  • कन्या भ्रूण हत्या को कानूनन अपराध घोषित करना।
  • समान कार्य के लिए समान पारिश्रमिक का प्रावधान।
  • नारी शिक्षा पर विशेष जोर देना।
  • बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसी योजना।

Q5.) बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं?

उत्तरः-

  •  आज भी हमारे देश में कुछ जातियों के साथ अछूतों जैसा बर्ताव किया जाता है। आज भी अधिकतर लोग अपनी जाति या कवीले में विवाह करते |
  • कुछ जातियाँ अधिक उक्त हैं तो कुछ खास जातियाँ अत्यधिक पिछड़ी हुई।
  • कुछ जातियों का अभी भी शोषण हो रहा है। चुनाव अथवा मंत्रिमंडल के गठन में जातीय समीकरण को ध्यान में रखना।

Q6.) वर्ण व्यवस्था क्या है ?

उत्तर:- वर्ण-व्यवस्था – जाति समूहों का पदानुक्रम जिसमें एक जाति के लोग हर हाल में सामाजिक पायदान में सबसे ऊपर रहेंगे तो किसी अन्य जाति समूह के लोग क्रमागत के रूप से उनके नीचे।

Q7. साम्प्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।

उत्तर:-

  •  कट्टर पंथी विचारधारा वाले लोग।
  • धार्मिक आधार पर मतों का ध्रुवीकरण। धर्म के आधार पर लोगों को चुनाव में प्रत्याशी घोषित करना।
  • साम्प्रदायिक हिंसा और खून खराबा।
  • साम्प्रदायिक दिशा में राजनीति की गतिशीलता।
  • साम्प्रदायिकता के आधार पर राजनीतिक दलों का अलग-अलग खेमों में बँट जाना। जैसे आपरलैंड में नेशलिस्ट और यूनियनिस्ट पार्टी।

Q8.) नारीवादी आंदोलन किस कहते हैं? इसकी विशेषताओं और प्रभाव को बताइए?

उत्तर:- महिलाओं के राजीतिक और वैधानिक दर्ज को ऊँचा उठाने, उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की माँग और उनके व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन में बराबरी की मांग करने वाले आंदोलन को नारीवादी आंदोलन कहते हैं।

विशेषताएँ:-

  •  यह आंदोलन महिलाओं के राजनैतिक अधिकार और सत्ता पर उनकी पकड़ को वकालत करता है।
  • इसमें महिलाओं को घर की पार दीवारी के भीतर केद रखने और घर के सभी कामों का बोझ डालने का विरोध सम्मिलित है।
  • यह पितृसत्तात्मक परिवार को मातृसत्तात्मक बनाने की ओर अग्रसर हैं।
  • महिलाओं की शिक्षा तथा देश के विभिन्न क्षेत्रों में उनके व्यवसाय, सेवा आदि का समर्थक है।
  • यह महिलाओं के हर प्रकार के शोषण का विरोध करता है।

Q9.) पितृ प्रधान का शाब्दिक अर्थ क्या है ?

उत्तर:- पितृ प्रधान- इसका शाब्दिक अर्थ तो पिता का शासन है पर इस पद का प्रयोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा महत्व, ज्यादा शक्ति देने वाली व्यवस्था के लिए भी किया जाता है।

Q10.) भारत में स्वतंत्रता के उपरांत महिलाओं की स्थिति में कुछ सुधार हुए हैं परंतु वे अभी भी पुरूषों से काफी पीछे हैं। इस कथन को विभिन्न तथ्यों और साक्ष्यों से समझाइए।

उत्तरः-

  • साक्षरता की दर महिलाओं में साक्षरता की दर 54 प्रतिशत है जबकि पुरुषों में 76 प्रतिशत।
  • ऊँचा वेतन और ऊँची स्थिति के पद, इस क्षेत्र में पुरुष महिलाओं से बहुत आगे हैं। 
  • असमान लिंग अनुपात अभी भी प्रति 1000 पुरूषों पर महिलाओं की संख्या 933 है। घरेलु और सामाजिक उत्पीड़न
  • जन प्रतिनिधि संस्थाओं में कम भागीदारी अथवा प्रतिनिधित्व।
  •  महिलाओं में पुरुषों की तुलना में आर्थिक आत्मनिर्भरता कम।

Q11.) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की विशेषताएँ लिखिए। देश की आबादी में उनके प्रतिशत क्या हैं?

उत्तरः-

अनुसूचित जातियाँ:- वे जातियों जो हिन्दू सामाजिक व्यवस्था में उच्च जातियों से अलग और अछूत मानी जाती है तथा जिनका अपेक्षित विकास नहीं हुआ है।

अनुसूचित जनजातियाँ:- ऐसा समुदाय जो साधारणतया पहाड़ी और जंगली क्षेत्रों में रहते हैं और जिनका बाकी समाज से अधिक मेलजोल नहीं है। साथ ही उनका विकास नहीं हुआ है। अनुसूचित जातियों का प्रतिशत 16.2 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजातियों का प्रतिशत 8.2 प्रतिशत है।

Q12.) भारतीय राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। कारण बताइए।

उत्तर:-

  • महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता का अभाव है। 
  • पुरुष अभी भी महिलाओं को आगे आने नहीं देते। 
  • राजनीतिक दल महिलाओं को उनकी जनसंख्या के अनुपात में टिकट नहीं देते।
  • महिलाओं की साक्षरता दर भी कम है।

Q13.) सांप्रदायिकता क्या है ? भारत में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर:- सांप्रदायिकता का अर्थ है अपने संप्रदाय के प्रति स्नेह तथा अन्य संप्रदायों के प्रति घृणा उत्पन्न करना। दूसरे शब्दों में, अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ समझते हुए दूसरे धर्मों के प्रति घृणा उत्पन्न करना।

भारत में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले कारक:-

(क) धार्मिक स्थलों को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाते हैं। इन विवादों को राजनीतिक दल और अधिक उभार देते हैं। वे वोटों के कारण विभिन्न संप्रदाय के पक्ष में बोलने लगते हैं जिसके कारण विभिन्न संप्रदाय के लोगों में सांप्रदायिक भावना भड़क उठती है।

( ख) राजनीतिक दलों द्वारा संप्रदाय विशेष को ज्यादा महत्व देना और चुनावों में धर्म के आधार पर अभियान को प्रोत्साहन देना।

(ग) सांप्रदायिकता के विकास में कट्टरपंथी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे समाज में धार्मिक उन्माद फैलाते रहते हैं।

Q14) अगर एक सी सामाजिक असमानताएँ कई समूहों में मौजूद हों, तो फिर एक समूह के लोगों के लिए दूसरे समूहों से अलग पहचान बनाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।

उत्तरः-

  • किसी एक मुद्दे पर कई समूहों के हित एक जैसे हो सकते हैं, जबकि किसी दूसरे मुद्दे पर उनके नजरिये में अंतर हो सकता है।
  • उत्तरी आयरलैंड और नीदरलैंड दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं, लेकिन यहाँ के लोग प्रोस्टेंट और कैथोलिक खेमे में बंटे हुए हैं।
  • उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म में शहरी समानता है। वहाँ कैथोलिक समुदाय गरीब है और उनके साथ भेदभाव होता है।
  • नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच समानता नहीं है। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट दोनों ही अमीर एवं गरीब हैं।
  • उत्तरी आयरलैंड में दोनों ही समुदायों में भारी मारकाट चलती है परंतु नीदरलैंड में ऐसा नहीं है।

Q15.) लैंगिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति और इस सवाल पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में किस प्रकार महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने में मदद की है ?

उत्तरः- लैंगिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति और इस सवाल पर राजनीतिक गोलबंदी ने सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित किया है :

  • आज विभिन्न पेशे में महिलाओं की भूमिका पहले से अधिक देखने को मिलती है। जैसे-डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबंधक आदि।
  • पहले उपर्युक्त कामों के लिए महिलाओं को योग्य नहीं समझा जाता था।
  • दुनिया के कुछ चुनिन्दा देशों जैसे-नार्वे फिनलैंड आदि में महिलाओं की भागीदारी का स्तर ऊँचा है।
  • भारत में आजादी के बाद महिलाओं का प्रतिनिधित्व राजनीति एवं अन्य क्षेत्रों में बढ़ा है, परन्तु अभी भी वे पुरुषों से काफी पीछे हैं।

Q16.) भारतीय विधायिका में महिलाओं का अनुपात क्या है ? विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए क्या किया जा सकता है ?

उत्तरः- लोक सभा 2019 में महिलाएं 14 प्रतिशत है।

  • राज्य विधानसभाओं में महिलाएं 5 प्रतिशत
  • विधायिका में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार के लिए, महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण कानूनी रूप से पंचायतों की तरह बाध्यकारी होना चाहिए।
  • पंचायत में 1/3 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
  • कुछ राज्य जहां महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीटें पहले से ही आरक्षित हैं, वे हैं बिहार, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश।

Q17.) सांप्रदायिकता राजनीति में विभिन्न रूप ले सकती है। कथन की व्याख्या करें।

उत्तरः- धार्मिक पूर्वाग्रहों, धार्मिक समुदायों की रूढ़िवादिता और दूसरे धर्म पर स्वयं के धर्म की श्रेष्ठता में विश्वास।

  • एक सांप्रदायिक दिमाग अपने स्वयं के धार्मिक समुदाय के राजनीतिक प्रभुत्व की तलाश करता है।
  • धार्मिक तर्ज पर राजनीतिक लामबंदी करना। इसमें राजनीतिक क्षेत्र में एक धर्म के अनुयायियों को एक साथ लाने के लिए पवित्र प्रतीकों, धार्मिक नेताओं और भय का उपयोग शामिल है।
  • सांप्रदायिकता का सबसे बदसूरत रूप सांप्रदायिक हिंसा, दंगे और नरसंहार है।

Q18.) धर्म को राजनीति से कभी अलग नहीं किया जा सकता। महात्मा गाँधी ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तरः- गांधी जी के अनुसार-धर्म, हिंदू धर्म या इस्लाम जैसे किसी भी धर्म विशेष से संबंधित नहीं था, लेकिन नैतिक मूल्य जो सभी धर्मों को सूचित करते हैं। राजनीति को धर्म से लिए गए नैतिक मूल्यों द्वारा निर्देशित होना चाहिए।

Q19.) आधुनिक भारत में जाति और जाति व्यवस्था में बदलाव के पीछे का कारण बताएं।

उत्तरः- आधुनिक भारत में जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण महान परिवर्तन हुए हैं

  • आर्थिक विकास
  • बड़े पैमाने पर शहरीकरण
  • साक्षरता और शिक्षा का विकास
  • व्यावसायिक गतिशीलता
  • गांव में जमींदारों की स्थिति का कमजोर होना।

Q20.) राजनीति जाति व्यवस्था और जाति की पहचान को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तरः- प्रत्येक जाति समूह पड़ोसी जातियों या उप-जातियों को अपने भीतर समाहित करके बड़ा बनने का प्रयास करता है, जिन्हें पहले इससे बाहर रखा गया था।

  • अन्य जातियों के साथ गठबंधन में प्रवेश करने के लिए जाति समूह की आवश्यकता होती है।
  • राजनीतिक क्षेत्र में नए तरह के जातियों के समूह जैसे पिछड़े और अगड़े जाति समूह आ गए हैं।

Q21.) जाति पर विशेष ध्यान देने से राजनीति में नकारात्मक परिणाम कैसे आ सकते हैं ?

उत्तर:- केवल जाति की पहचान पर आधारित राजनीति, लोकतंत्र में बहुत स्वस्थ नहीं है।

  • यह गरीबी, विकास और भष्टाचार जैसे अन्य महत्व के मुद्दों से ध्यान हटा सकता है।
  • जातीय विभाजन से तनाव, संघर्ष और यहां तक कि हिंसा भी होती है।

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