Jac Board Class 10 Geography Chapter 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 भूगोल | Class 10 Geography chapter 5 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन
सभी अध्यायों के लिए विज्ञान NCERT पुस्तक समाधान Smart Classes के Teachers और Experts के द्वारा बिलकुल आपकी भाषा में तैयार किया गया है | ताकि आप समाधान को समझ सके और आसानी से याद कर सके |
Table of Contents
ToggleClass 10 geography chapter 5 important questions and answers
Hindi Medium के लिए कक्षा 10 भुगोल NCERT समाधान जो की NCERT पुस्तक समाधान नवीनतम CBSE, JACऔर NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है | NCERT पुस्तक समाधान हर साल Smart Classes के द्वारा Update किया जाते है | इसलिए कक्षा 10 के लिए NCERT पुस्तक समाधान भी Smart Classes के द्वारा वर्ष 2023 – 24 के लिए Update किया गया है |
Jac Board Solution Class 10 Geography chapter 5 Hindi Medium के छात्रों के लिए Hindi में कक्षा 10 भूगोल NCERT पुस्तक समाधान के सभी अध्याय नवीनतम CBSE, JAC और NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है |
Class 10 geography chapter 5 important questions and answers
Tw Smart Classes , students, teachers, & tutors के requirments के मुताबिक सभी study materials तैयार करती है | हमारे द्वारा और भी study materials तैयार किये जाते है |
हमारे द्वारा तैयार किये गए ncert book solution कुछ इस तरह रहेगी >>
- अभ्यास
अध्याय 5 : खनिज तथा ऊर्जा संसाधन (Mineral and Energy Resources)
Q1.) भारत के किन्हीं चार लौह अयस्क पेटियों की व्याख्या करें।
उत्तर:- भारत के चार प्रमुख लौह अयस्क पेटियाँ-
- उड़ीसा-झारखण्ड पेटी- उड़ीसा में उच्च कोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ खादानों से निकाला जाता है। इसी से सन्निद्ध झारखण्ड के सिंहभूम जिले में गुआ तथा नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क का खनन किया जाता है।
- दुर्ग-बस्तर-चन्द्रपुर पेटी- यह पेटी महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ राज्यों ( के अंतर्गत पाई जाती है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में बेलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं में अति उत्तम कोटि का हेमेटाइट पाया जाता है जिसमें इस गुणवत्ता के लौह के 14 जमाव मिलते हैं। इसमें इस्पात बनाने में आवश्यक सर्वश्रेष्ठ भौतिक गुण विद्यमान हैं। इन खदानों का लौह अयस्क विशाखापत्तनम् पत्तन से जापान तथा दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
- बेलारी-चित्रदुर्ग, चिकमगलूर-तुमकुर पेटी- कर्नाटक की इस पेटी ( में लौह अयस्क की बृहत् राशि संचित है। कर्नाटक में पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानें शत् प्रतिशत निर्यात इकाई हैं। कुद्रेमुख निक्षेप संसार के सबसे बड़े निक्षेपों में से एक माने जाते हैं। लौह अयस्क कर्दम रूप से पाइपलाइन द्वारा मैंगलोर के निकट एक पत्तन पर भेजा जाता है।
- महाराष्ट्र-गोआ पेटी- यह पेटी गोआ तथा महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरी जिले में स्थित है। यद्यपि यहाँ का लोहा उत्तम प्रकार का नहीं है तथापि इसका दक्षता से दोहन किया जाता है। मरमागाओ पत्तन से इसका निर्यात किया जाता है।
Q2.) भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। क्यों ?
उत्तर:- (क) भारत एक उष्णकटिबंधीय या एक गर्म देश है इसलिए यहाँ सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता की अधिक संभावना है। एक अनुमान के अनुसार यह लगभग 20 मेगावॉट प्रति वर्ग किलोमीटर प्रति वर्ष है।
- भारत में फोटोवोल्टाइक तकनीक उपलब्ध है जिसके द्वारा सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत में बदला जा सकता है।
- सूर्य का प्रकाश प्रकृति का एक मुफ्त उपहार है इसलिए निम्न वर्ग के लोग आसानी से सौर ऊर्जा का लाभ उठा सकते हैं।
- जबकि कोयला, पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि ऊर्जा के स्रोत एक बार प्रयोग करके दुबारा प्रयोग में नहीं ला सकते वहाँ सौर ऊर्जा एक नवीकरण स्रोत है। इसे बार-बार प्रयोग में लाया जा सकता है।
- सौर ऊर्जा का प्रयोग हम अनेक प्रकार से कर सकते हैं, जैसे खाना बनाने, पम्प द्वारा जल निकालने, पानी को गर्म करने, दूध को कीटाणु रहित बनाने तथा सड़कों पर रोशनी करने आदि के लिए।
Q3.) भारत में लौह अयस्क के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:- भारत में संसार का लगभग 20 प्रतिशत लौह अयस्क भंडार हैं। भारत में लौह अयस्क का खनन मुख्यतः छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, गोवा और कर्नाटक राज्यों में होता है। इन राज्यों में कुल उत्पादन का 95 प्रतिशत से भी अधिक भाग प्राप्त किया जाता है। इनके अतिरिक्त और भी कई राज्यों में लोहा पाया जाता है। देश के प्रमुख लोहा उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं-
- छत्तीसगढ़- इस राज्य में अधिकांश लोहा हेमेटाइट किस्म का है।’ यहाँ के दुर्ग, बस्तर और दांतेवाड़ा जिलों में लोहा उत्पादन किया जाता हैं। बस्तर जिले में बैलाडिला, रावघाट प्रमुख लोहा क्षेत्र हैं।
- झारखंड- यहाँ के पश्चिमी और पूर्वी सिंहभूम जिले में लौह अयस्क निकाला जाता हैं। यहाँ के प्रमुख क्षेत्र गुआ और नोआमुण्डी हैं।
- उड़ीसा – यहाँ के सुंदरगढ़, क्योंझर और मयूरभंज जिले में लोहा उत्पादन किया जाता है।
- कर्नाटक- इस राज्य के चिकमंगलूर जिले के बाबाबूदन पहाड़ी, कुद्रमुख और कालाहांडी क्षेत्र प्रमुख हैं। बेल्लारी, चित्रदुर्ग, शिमोगा और टुमकुर जिलों से भी लोहा प्राप्त किया जाता है।
- गोवा- गोवा के उत्तरी भाग में लोहा मिलता है।
Q4.)भारत में कोयले के वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर:- भारत में कोयले का लगभग 21400 करोड़ टन भंडार है। आजकल भारत में प्रतिवर्ष 33 करोड़ टन कोयला निकाला जाता है। कोयले के अधिकांश क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर पूर्वी भाग में पाये जाते हैं। कुल उत्पादन का दो-तिहाई कोयला झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में निकाला जाता है। शेष एक-तिहाई कोयला आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है। देश में प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र इस प्रकार हैं-
- झारखंड- प्रमुख खनन क्षेत्र बोकारो, झरिया, गिरिडीह, रामगढ़ हैं। (
- मध्यप्रदेश प्रमुख क्षेत्र उमरिया, सोहागपुर हैं।
- छत्तीसगढ़- प्रमुख कोयला क्षेत्र कोरबा और अम्बिकापुर हैं।
- उड़ीसा – प्रमुख कोयला क्षेत्र सम्भलपुर और सुंदरगढ़ जिलों में हैं।
Q5.) हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है ?
उत्तर:- खनिजों को एक बार उपयोग करने के उपरांत उसे दुबारा नहीं पाया जा सकता। खनिजों का दुरुपयोग किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए खनिजों का संरक्षण आवश्यक है।खनिजों के संरक्षण की तीन विधियाँ-
- खनिजों का उपयोग सुनियोजित ढंग से करना चाहिए।
- खनिजों को बचाने के लिए उनके स्थान पर अन्य वस्तुओं के उपयोग के बारे में सोचना चाहिए।
- जहाँ जैसे संभव हो धातुओं के चक्रीय उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। जैसे- लोहे को गलाकर लोहा बनाना, सोने को गलाकर सोना बनाना आदि ।
Q6.) ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय बताएँ।
उत्तर:- ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय:-
- ऊर्जा संसाधनों के प्रयोग के विकल्प विकसित किये जाने चाहिए।
- ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है। अतः जहाँ तक संभव हो सके ऊर्जा की बचत की जानी चाहिए।
- गैर-परंपरागत ऊर्जा के साधनों के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
Q7.) पवन ऊर्जा पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:- पवन ऊर्जा- बहती वायु से उत्पन्न की गई ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। पवन ऊर्जा बनाने के लिए हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता है जिसके द्वारा वायु की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। भारत को अब विश्व में ‘पवन महाशक्ति’ का दर्जा प्राप्त है। भारत में पवन ऊर्जा फार्म के विशालतम पेटी तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरई तक अवस्थित है। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र तथा लक्षद्वीप में भी महत्त्वपूर्ण पवन ऊर्जा फार्म हैं। नागरकोइल और जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी प्रयोग के लिए जाने जाते हैं।
Q8.) खनिज क्या है ?
उत्तर:- खनिज प्राकृतिक रासायनिक यौगिक हैं। इनमें संघटक और संरचना स्वरूप में समानता पाई जाती है। ये शैलों और अयस्कों के अवयव हैं। इनकी उत्पत्ति भू-गर्भ में हो रही विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के द्वारा हुई है।
Q9.) लौह खनिज क्या है ? उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर:- ऐसे खनिज अयस्क, जिनमें लोहे के अंश होते हैं, लौह खनिज कहलाते हैं। लौह खनिजों में लौह अयस्क, मैगनीज अयस्क, क्रोमियम, कोबाल्ट, टंगस्टन तथा निकिल शामिल हैं।
Q10.) परम्परागत ऊर्जा तथा गैर परम्परागत ऊर्जा के साधनों में अंतर बताएँ।
उत्तर:- परम्परागत ऊर्जा तथा गैर परम्परागत ऊर्जा के साधनों में अंतर:-
परम्परागत ऊर्जा | गैर परम्परागत ऊर्जा |
(a) यह प्राचीन काल से प्रयोग होने वाले ऊर्जा के साधन हैं जिनकी मात्रा सीमित है। | (a) यह भी प्राचीन काल से प्रयोग होने वाले हैं किन्तु इनका आज के संदर्भ में महत्व बढ़ गया है। |
(b) ये समाप्त होने वाले साधन हैं। | (b) ये कभी न समाप्त होने वाले साधन है। |
(c) कोयला, पेट्रोलियम, परमाणु ऊर्जा, जलशक्ति परम्परागत ऊर्जा की श्रेणी में आते हैं। | (c) सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, पवन ऊर्जा, कूड़े, कचरे, गोबर, मलमूत्र से तैयार ऊर्जा इस श्रेणी में आते हैं। |
(d) यह ऊर्जा का सुविधाजनक ( और बहुप्रचलित रूप है। | d) गैर-परम्परागत ऊर्जा के साधन आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन इनका उपयोग व्यापक एवं बड़े पैमाने पर नहीं होता है। |