Jac Board class 10 social science (History) chapter 4 Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 social science (History)| Class 10 social science (History)chapter 4 औधोगीकरण का युग
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class 10 History Chapter 4 important questions
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- अभ्यास
अध्याय 4 :औधोगीकरण का युग (Era of Industrialization)
Q1.) इंगलैंड के सबसे फलते-फूलते दो उद्योग कौन-कौन से थे ?
उत्तर:-
- सूती उद्योग,
- कपास उद्योग ।
Q2.) आदि औद्योगीकरण (पूर्व औद्योगीकरण) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- यूरोप में बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना के पूर्व भी अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन कारखानों में न होकर, गाँवों में ग्रामीण कारीगरों द्वारा होता था। इन पर सौदागरों का नियंत्रण होता था। इसे ही पूर्व-औद्योगीकरण यां आदि-औद्योगीकरण के नाम से जाना जाता है।
Q3.) फ्लाई शटल क्या है ?
उत्तर:- यह रस्सियों और पुलियों के जरिए चलने वाला एक यांत्रिक औजार है जिसका बुनाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह क्षैतिज धागे (ताना – the weft) को लम्बवत् धागे (बाना – the warp) में पिरो देती है। फ्लाई शटल के आविष्कार से बुनकरों को बड़े करघे चलाना और चौड़े अरज का कपड़ा बनाने में काफी मदद मिली।
Q4.) ‘जॉबर’ कौन होते थे ? उनका क्या कार्य होता था ?
उत्तर:- उद्योगपति नए मजदूरों की भर्ती के लिए प्रायः एक जॉबर रखते थे। जॉबर कोई पुराना और विश्वस्त कर्मचारी होता था। जॉबर का कार्य- जॉबर अपने गाँव से लोगों को लाता था। गाँव से आए लोगों को विश्वास दिलाता था कि उन्हें शहर में जमने में मदद करेगा और मुसीबत में पैसे से मदद करेगा। इस प्रकार जॉबर ताकतवर और मजबूत व्यक्ति बन गया। बाद में जॉबर मदद के बदले पैसे और तोहफों की माँग करने लगे और मजदूरों की जिंदगी को नियंत्रित करने लगे।
Q5.) औद्योगिक क्रांति का अर्थ समझाएँ।
उत्तर:- औद्योगिक क्रांति हम उस क्रांति को कहते हैं जिसने अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिए। ये परिवर्तन इतनी तेज रफ्तार से आए और इतने प्रभावशाली सिद्ध हुए कि उन्हें ‘क्रांति’ का नाम दे दिया गया। इस क्रांति ने घरेलू उद्योग-धन्धों के स्थान पर फैक्ट्री सिस्टम को जन्म दिया, कार्य हाथों के स्थान पर मशीनों से होने लगा और छोटे कारीगरों का स्थान पूँजीपति श्रेणी ने ले लिया।
Q6.) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए। व्याख्या करें।
उत्तर:-
- स्पिनिंग जेनी मशीन ने ऊन की कताई की प्रक्रिया बहुत तेज कर दी। स्पिनिंग जेनी मशीन एक समय में अनेक मजदूरों का कार्य लेती थी। इसके कारण मजदूरों की माँग घट गई।
- बेरोजगारी की आशंका से मजदूर वर्ग खासकर महिलाओं में नई प्रौद्योगिकी के प्रति आशंका व्याप्त थी।
- जब ऊन उद्योग में इस मशीन का इस्तेमाल किया गया तो अनेक औरतों, जो हाथ से ऊन की कताई करती थीं को काम से हटना पड़ा। इसी कारण महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए। स्पिनिंग जेनी मशीन का, महिलाओं द्वारा विरोध काफी लम्बे समय तक चलता रहा।
Q7.)सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। व्याख्या करें।
उत्तर:- सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे। उन्होंने ऐसा निम्नांकित कारणों से किया-
- उस समय विश्व-व्यापार के विस्तार और उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीजों की माँग बढ़ने लगी थी, इसलिए उद्योगपति और व्यापारी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते थे। परन्तु शहरों में रहकर ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि वहाँ मजदूर संघों और व्यापारिक गिल्ड्स काफी शक्तिशाली थे जो उनके लिए अनेक समस्याएँ पैदा कर सकते थे।
- शासकों ने भी विभिन्न गिल्ड्स को खास चीजों के उत्पादन और व्यापार का एकाधिकार दे रखा था।
- ग्रामीण क्षेत्रों में किसान लोग और कारीगर ऐसे सौदागरों के लिए काम करने को तैयार थे क्योंकि खुले खेत खत्म होने और कामन्स भूमियों की बाड़ाबंदी होने के कारण उनके पास जीने के बहुत कम साधन बचे थे।
Q8.) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिए पर पहुँच गया था। तीन कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर:- सूरत, पूर्व औपनिवेशिक काल का एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह था। जहाँ से पश्चिमी एशिया के साथ होने वाला व्यापार काफी समृद्ध था। तेजी से बदलती परिस्थितियों में कलकत्ता और बंबई नए औद्योगिक केन्द्र के रूप में उभरे जबकि सूरत जैसा विकसित केन्द्र हाशिए पर पहुँच गया।
- अठारहवीं सदी के अंत तक यूरोपीय कंपनियों की ताकत बढ़ती जा रही थी। पहले उन्होंने स्थानीय दरबारों से कई तरह की रियायतें हासिल कीं और उसके बाद उन्होंने व्यापार पर इजारेदारी अधिकार प्राप्त कर लिए।
- इससे सूरत व हुगली, दोनों पुराने बंदरगाह कमजोर पड़ गए। यहाँ से होने वाले निर्यात में नाटकीय कमी आई। नए बंदरगाहों के जरिए होने वाला व्यापार यूरोपीय कंपनियों के नियंत्रण में था।
- पुराने बंदरगाहों की जगह नए बंदरगाहों (बंबई व कलकत्ता) का
Q9.) ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाशतों को नियुक्त किया था। किन्हीं तीन कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर:- ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय व्यापारियों और दलालों की भूमिका समाप्त करने तथा बुनकरों पर अधिक नियंत्रण स्थापित करने के विचार से वेतनभोगी कर्मचारी तैनात कर दिए जिन्हें गुमाशता कहा जाता था। इन गुमाशतों को अनेक प्रकार के काम सौपे गए।
- वे बुनकरों को कर्ज देते थे ताकि वे किसी और व्यापारी को अपना माल तैयार करके न दे सके।
- वे ही बुनकरों से तैयार किए हुए माल को इकट्ठा करते थे।
- वे बने हुए समान विशेषकर बने हुए कपड़ों की गुणवत्ता की जाँच करते थे।
Q10.) उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे ? तीन कारणों की चर्चा करें।
उत्तर:-
- विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम की कोई कमी नहीं थी इसलिए कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे।
- कुछ उद्योगपति बड़ी मशीनों पर भारी खर्चा करने से हिचकिचाते थे क्योंकि मशीने लगाने में यह जरूरी नहीं था कि उनको ऐसा करने से लाभ रहेगा।
- बहुत से ऐसे उद्योग हैं जहाँ श्रमिकों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है जैसे- गैसघरों, शराबखानों, बंदरगाहों में जहाजों की मरम्मत और साफ-सफाई के काम में मजदूरों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। ऐसे उद्योगों में उद्योगपति मशीनों की बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसन्द करते थे।
Q11.)नए उपभोक्ता पैदा करने में विज्ञापन मदद करता है। कैसे ? कारण बताएँ।
उत्तर:- नए उपभोक्ता पैदा करने का एक तरीका विज्ञापनों का है। जब नयी चीजें बनती हैं, तो लोगों को उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित भी करना पड़ता है। लोगों को लगना चाहिए कि उन्हें उस उत्पाद की जरूरत है। जैसा कि हम जानते हैं, विज्ञापन विभिन्न उत्पादों को जरूरी और वांछनीय बना लेते हैं। वे लोगों की सोच बदल देते हैं और नयी जरूरतें पैदा कर देते हैं। आज हम एक ऐसी दुनिया में हैं जहाँ चारों तरफ विज्ञापन छाए हुए हैं। अखबारों, पत्रिकाओं, होर्डिंग्स, दीवारों, टेलीविजन के परदे पर, सब जगह विज्ञापन छाए हुए हैं। लेकिन अगर हम इतिहास में पीछे मुड़कर देखें तो पता चलता है कि औद्योगीकरण की शुरुआत से ही विज्ञापनों ने विभिन्न उत्पादों के बाजार को फैलाने में और एक नयी उपभोक्ता संस्कृति रचने में अपनी भूमिका निभाई है।
जब मैनचेस्टर के उद्योगपतियों ने भारत में कपड़ा बेचना शुरू किया तो वे कपड़े के बंडलों पर लेबल लगाते थे। लेबल का फायदा यह होता था कि खरीदारों को कंपनी का नाम व उत्पादन की जगह पता चल जाती थी। लेबल ही चीजों की गुणवत्ता का प्रतीक भी था। जब किसी लेबल पर मोटे अक्षरों में ‘मेड इन मैनचेस्टर’ लिखा दिखाई देता तो खरीदारों को कपड़ा खरीदने में किसी तरह का डर नहीं रहता था।
इस प्रकार स्पष्ट है कि विज्ञापन नए उपभोक्ता पैदा करने में विज्ञापन काफी मदद करता है।
Q12.)पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा ?
उत्तर:- पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा इसके अनेक कारण दिए जाते हैं जिनमें से प्रमुख निम्नांकित हैं-
- प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ऐसे उलझ गया कि उसका ध्यान अपने बचाओ में लग गया। वह अब भारत में अपने माल का निर्यात न कर सका जिसके कारण भारत के उद्योगों को पनपने का सुअवसर प्राप्त हो गया।
- इंग्लैंड के सब कारखाने निर्यात की विभिन्न चीजें बनाने की बजाय सैनिक सामग्री बनाने में लग गई इसलिए भारतीय उद्योगों को रातोरात एक विशाल देशी बाजार मिल गया।
- एक विशाल देशी बाजार मिलने के अतिरिक्त भारतीय उद्योगों को जब सरकार द्वारा भी अनेक चीजें जैसे- फौज के लिए वर्दियों, बूट आदि बनाने, टेंट आदि बनाने, घोड़ों के लिए अनेक प्रकार का सामान बनाने आदि के ऑर्डर मिल गए तो उनमें नई जान आ गई। जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता गया भारतीय उद्योग भी प्रगति करते गया।
- पुराने कारखानों के साथ-साथ बहुत सारे नए कारखाने खुल गए जिससे उद्योगपतियों को ही नहीं, वरन् मजदूरों और कारीगरों की भी चाँदी हो गई, उनके वेतन बढ़ गए जिससे उनकी काया पलट गई।
- प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को फंसा देखकर भारतीय नेताओं ने स्वदेशी पर अधिक बल देना शुरू कर दिया तो भारतीय उद्योगों के लिए सोने पर सुहागा वाली बात हो गई।
इस प्रकार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में प्रथम विश्वयुद्ध भारतीय उद्योगों के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ।