Jac Board class 10 social science (History) chapter 2 Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 social science (History)| Class 10 social science (History)chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद
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jac board class 10 History chapter 2
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- अभ्यास
अध्याय 2 :भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India)
Q1.) डांडी यात्रा का क्या महत्व है ?
उत्तर:- डांडी यात्रा (1930 ई०) द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को शुरू किया गया।
Q2.) खिलाफत आंदोलन कब और किसने शुरू किया ?
उत्तर:- खिलाफत आंदोलन 1919 ई० को दो अली भाइयों मुहम्मद अली और शौकत अली ने शुरू किया।
Q3.) चौरी-चौरा कांड क्या है ?
उत्तर:- यह एक स्थान है जहाँ 1922 ई० में सरकार के विरुद्ध सभा हो रही थी। छेड़खानी की कोई बात न होने पर भी पुलिस ने गोलियाँ चला दी। गुस्से में लोगों ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी जिससे 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। गाँधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया।
Q4.) ‘स्वराज’ से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- स्वराज का तात्पर्य ऐसी शासन व्यवस्था से है जैसा कि स्वशासी ब्रिटिश उपनिवेशों में स्थापित है। साधारण भाषा में इसका अर्थ है ‘स्वराज’।
Q5.) बहिष्कार के विचार का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- बहिष्कार विरोध का एक गाँधीवादी रूप है। बहिष्कार का अर्थ है- किसी के साथ संपर्क रखने और जुड़ने से इंकार करना, गतिविधियों में हिस्सेदारी से स्वयं को अलग रखना तथा उसकी चीजों को खरीदने तथा इस्तेमाल करने से इंकार करना।
Q6.) नेहरू रिपोर्ट क्या है ?
उत्तर:- नेहरू रिपोर्ट 10 अगस्त, 1928 को प्रस्तुत की गई। इसने भारत को एक राष्ट्र का दर्जा देने, संसदीय प्रणाली का गठन करने तथा मूल अधिकारों पर जोर दिया।
Q7.) सविनय अवज्ञा आंदोलन क्यों शुरू किया गया ?
उत्तर:- भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तथा भारत भूमि को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए महात्मा गाँधी द्वारा सन् 1930 ई० में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया।
Q8.) गाँधी-इरविन समझौता की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:- गाँधी इरविन समझौता के साथ ही गाँधीजी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस समझौते की मुख्य विशेषताएँ थीं-
- )सरकार सभी कैदियों को छोड़ने के लिए तैयार हो गई, जिनके विरुद्ध हिंसा से जुड़ा कोई मामला नहीं था।
- )गाँधीजी को प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया।
Q9.) पिकेटिंग से क्या समझते हैं ?
उत्तर:- प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
Q10.) रॉलेट एक्ट क्या था ? गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट का विरोध किस प्रकार किया ? वर्णन करें।
उत्तर:- भारत में ब्रिटिश शासन के हो रहे प्रतिरोधों के खिलाफ ब्रिटेन के इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने 1919 ई० में एक कानून परित किया। जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है।
- )भारत में रॉलेट एक्ट का प्रखर विरोध हुआ। गाँधीजी ने इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा करने की घोषणा की।
- )इस नागरिक अवज्ञा को 6 अप्रैल, 1919 से एक हड़ताल के साथ प्रारंभ होना निश्चित किया गया।
- )रॉलेट एक्ट के खिलाफ विभिन्न शहरों में रैलियों एवं जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे कामगार हड़ताल पर चले गए। दुकानें स्वतः बंद हो गई। टेलीग्राफ सेवा बाधित कर दी गई। इस प्रकार देश में अव्यवस्था का आलम फैल गया।
- )अंग्रेजों ने राष्ट्रवादियों पर दमन शुरू किया। अनेक नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी गई।
- )10 अप्रैल, 1919 को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इससे लोग उग्र हो उठे तथा बैंकों, डाकघरों तथा रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे।
- )प्रथम विश्व युद्ध में भारी संख्या में भारतीयों को सेना में भर्ती किया गया। यूरोपीय देशों के स्वतंत्र वातावरण और लोकतंत्रीय संगठनों का उन पर प्रभाव पड़ा। युद्ध के अनुभवों से उन्हें अपनी क्षमता पर विश्वास हुआ। वे अपने देश में भी लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं। राजनीतिक जागृति और आत्मविश्वास की प्रबल भावना पहले विश्व युद्ध के बाद विकसित हुई।
- )युद्ध-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटेन ने अपने उपनिवेशों पर अतिरिक्त कर भार आरोपित किए, जिसके परिणामस्वरूप उपनिवेशों में विकट आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति उत्पन्न हुई। सरकार की आर्थिक नीतियों से वस्तुओं की कीमतें अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई।
- )देश के कई भागों में फसलें नष्ट हो गई थीं जिसके परिणामस्वरूप खद्यान्नों की कमी हो गई तथा कई क्षेत्रों में अकाल पड़ गए। इसी बीच फ्लू जैसी महामारी फैल गई जिससे भारी संख्या में लोग मारे गए।
- )अंग्रेजी सरकार ने भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट 1915 ई० में लागू किया। इसके बाद क्रांतिकारी आंदोलन कम होने के बजाय और तेज हो गया। उपर्युक्त परिस्थितियों के प्रति सरकार का रूप न सिर्फ उदासीन बल्कि असहयोगात्मक रहा जिसके परिणामस्वरूप लोगों में सरकार के प्रति असंतोष और विद्रोह का भाव पनपा तथा लोग राष्ट्रवादी आंदोलन के लिए मजबूर हुए।
Q12.) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ? कोई चार कारण दें।
उत्तर:-
- )दूसरे उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी।
- )उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन ने सभी जाति, वर्ग और सम्प्रदायों के लोगों को विदेशी सत्ता के विरुद्ध संघर्ष के लिए एकजुट किया।
- )इसने स्थानीय लोगों में राष्ट्रवादी और उदारवादी विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म प्रदान किया।
- ) इस प्रकार, उपनिवेश विरोधी आंदोलन सभी उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के विकास के लिए प्रजनन भूमि बना।
Q13.) राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर:- इसका प्रमुख कारण था कि हिंदू, जिनमें दलित भी थे तथा मुसलमान नेता सभी अपने समुदाय के हितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र चाहते थे, जिससे कि उनकी सीटें सुरक्षित हों तथा उन्हें अपने समुदाय के हितों के लिए सुरक्षा मिल सके। परंतु शीर्ष नेताओं को यह प्रश्न संकीर्णता भरा तथा राष्ट्रीय हितों पर चोट पहुँचाने वाला दिखाई देता था।
इसके बुरे प्रभाव निम्नांकित हो सकते थे:-
- )भारतीय एकीकरण के मार्ग में यह रोड़ा बनकर अटक सकता था।
- )इससे सांप्रदायिकता की भावना को बल मिलता था तथा दंगे भड़क सकते थे।
- )मुसलमान अपने आर्थिक और शैक्षणिक विकास की चिंता को पीछे छोड़कर राष्ट्रीय हितों को अनदेखा कर रहे थे।
- )इससे अलगाववादी प्रवृत्ति को बल मिलता था।
- )भारतीयों के लिए राजनैतिक और आर्थिक प्रश्नों का हल जरूरी था न कि निजी स्वार्थ। राष्ट्रीय हितों के आगे सारे प्रश्न फीके थे।
Q14.) सविनय अवज्ञा आन्दोलन में विभिन्न वर्गों और समूहों ने क्यों हिस्सा लिया ?
उत्तर:- विभिन्न वर्गों और समूहों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में हिस्सा लिया। क्योंकि ‘स्वराज’ के मायने सभी के लिए अलग-अलग थे-
- )ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होगी और व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल-फूल सकेंगे।
- )धनी किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।
- )महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति।
- )गरीब किसानों के लिए स्वराज का अर्थ था उनके पास स्वयं की जमीन होगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
Q15.)पूना पैक्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:-
- ) अंबेदकर का मानना था कि दलित वर्ग की समस्याओं का समाधान तथा उनकी सामाजिक अपंगता का निवारण केवल राजनीतिक सशक्तीकरण के द्वारा ही किया जा सकता है। अतः उन्होंने दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र का जोर-शोर से समर्थन दिया।
- )इस विषय पर गाँधीजी से उनका गंभीर विवाद हुआ। इसी बीच सरकार ने अंबेदकर की बात मान ली। इसके विरोध में गाँधीजी ने आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया।
- )अन्य राष्ट्रवादी नेताओं की मध्यस्थता से गाँधीजी और अंबेदकर के बीच सितंबर 1932 ई० में एक समझौता हुआ जिसे पूना पैक्ट के नाम से जाना जाता है।
- )इस समझौते के अनुसार दलित वर्ग को प्रांतीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई, हालाँकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होने की व्यवस्था की गई।
Q16.) खिलाफत आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:- खिलाफत आन्दोलन-
- ) प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की की हार हो चुकी थी। इस आशय की अफवाह फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक बहुत सख्त शांति संधि थोपी जायेगी।
- )खलीफा के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
- )मोहम्मद अली और शौकत अली बन्धुओं के साथ-साथ कई युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जनकारवाई की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गांधी के साथ वार्तालाप की।
- )सितम्बर 1920 में महात्मा गांधी सहित दूसरे नेताओं ने यह बात मान ली कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए।
Q17.) गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का क्यों फैसला किया ?
उत्तर:- असहयोग आंदोलन अपने पूरे जोरों पर चल रहा था जब महात्मा गाँधी ने 1922 ई० को उसे वापस ले लिया। इस आंदोलन के वापस लिए जाने के निम्नांकित कारण थे-
- ) महात्मा गाँधी अहिंसा और शांति के पूर्ण समर्थक थे, इसलिए जब उन्हें यह सूचना मिली कि उत्तेजित भीड़ ने चौरी-चौरा के पुलिस थाने को आग लगा कर 22 सिपाहियों की हत्या कर डाली है तो वह परेशान हो उठे। उन्हें अब विश्वास न रहा कि वे लोगों को शान्त रख सकेंगे। ऐसे में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लेना ही उचित समझा।
- )दूसरे वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएँगे तो अंग्रेजी सरकार भी उत्तेजित हो उठेगी और आतंक का राज्य स्थापित हो जाएगा और अनेक निर्दोष लोग मारे जाएँगे। महात्मा गाँधी जलियांवाला बाग जैसे हत्याकांड की पुनरावृत्ति नहीं करना चाहते थे इसलिए 1922 ई० में उन्होंने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
Q18.) जलियांवाला बाग हत्याकांड पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:- जलियांवाला बाग हत्याकांड:-
- )रॉलेट एक्ट के विरोध में महात्मा गाँधी और सत्यपाल किचलू गिरफ्तार हो चुके थे। इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल 1919 ई० के वैशाखी पर्व के दिन अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक जनसभा का आयोजन किया गया था।
- )अमृतसर के सैनिक प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित कर दिया था, परंतु सभा हुई थी। तब उसने वहाँ पर गोली चलवाई थी, इसमें सैकड़ों व्यक्ति मौत का शिकार हो गए थे।
- )इस हत्याकांड के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने एक हंटर आयोग स्थापित किया था और उस आयोग की रिर्पोट के बाद जनरल डायर को अनेक सम्मान दिए थे। इससे महात्मा गाँधी असहयोगी हो गए थे, और उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाने का निश्चय किया था।
- )जलियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना थी। इससे भारत भर में रोष की लहर फूट पड़ी।
Q19.)भारतीयों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित करने वाले कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर:- जब लोग ये महसूस करने लगते हैं कि वे एक ही राष्ट्र के अंग हैं; जब वे एक-दूसरे को एकता के सूत्र में बाँधने वाली कोई साझा बात ढूँढ़ लेते हैं। लेकिन राष्ट्र लोगों के मस्तिष्क में एक यथार्थ का रूप कैसे लेता है ? विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों या भाषाओं से संबद्ध अलग-अलग समूहों ने सामूहिक अपनेपन का भाव कैसे विकसित किया ? सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते पैदा हुई थी। इनके अलावा बहुत सारी सांस्कृतिक प्रक्रियाएँ भी थीं जिनके जरिए राष्ट्रवाद लोगों की कल्पना और दिलोदिमाग पर छा गया था। इतिहास व साहित्य, लोक कथाएँ व गीत, चित्र व प्रतीक, सभी ने राष्ट्रवाद को साकार करने में अपना योगदान दिया था।
Q20.)असहयोग आंदोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीकों का उल्लेख करें।
उत्तर:- असहयोग आंदोलन में भारतीयों द्वारा अपनाए गए विभिन्न तरीकें-
- ) गाँधीजी असहयोग आंदोलन को योजनाबद्ध तरीके से प्रारंभ करना चाहते थे। उनका विचार था कि सर्वप्रथम सरकार द्वारा दी गई पदवियों को लौटा दिया जाए तथा इसके बाद सरकारी नौकरियों तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया जाए।
- )असहयोग आंदोलन का प्रारंभ शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी से प्रारंभ हुआ। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए, शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया, वकीलों ने मुकदमे लड़ने बंद कर दिए तथा मद्रास के अतिरिक्त प्रायः सभी प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।
- )विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
- )व्यापारियों ने विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया। देश में खादी का प्रचलन और उत्पादन बढ़ा।
- )ग्रामीण इलाकों में जमींदारों को नाई-धोबी सुविधाओं से वंचित करने के लिए पंचायतों ने ‘नाई-धोबी बंद’ का फैसला किया।
Q21.) सत्याग्रह के विचार का क्या अर्थ है ? महात्मा गाँधी द्वारा सफलतापूर्वक चलाए गए सत्याग्रह आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर:- सत्याग्रह दमनकारियों के विरुद्ध जन-आंदोलन का एक अहिंसावादी ढंग था। इसमें यह विचार था कि यदि उद्देश्य सच्चा है और संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो दमनकारी के विरुद्ध लड़ने के लिए शारीरिक बल की कोई आवश्यकता नहीं। गाँधीजी ने दक्षिणी अफ्रीका में सत्याग्रह की तकनीक का सफल प्रयोग किया।
- ) 1916 ई० में उन्होंने चंपारण के किसानों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया और सरकार को 1918 में चंपारण के किसानों के कल्याण के लिए एक अधिनियम पारित करना पड़ा।
- )1917 में उन्होंने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। फसल खराब हो जाने और प्लेग की महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाए। 1918 में गाँधीजी सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह चलाने अहमदाबाद जा पहुँचे। अंततः सरकार को झुकना पड़ा और लगान का भुगतान अगले वर्ष तक स्थगित कर दिया गया।
- )पुनः 1918 ई० में गाँधीजी ने अहमदाबाद के मिल श्रमिकों की हड़ताल में हस्तक्षेप किया तथा उनके वेतन में वृद्धि करने में सहायता की जिसके लिए उन्होंने आमरण अनशन शुरू किया था।
Q22.) नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर:-
- ) 31 जनवरी, 1930 ई० को गाँधीजी ने वायसराय इरविन को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया था।
- )गाँधीजी इन माँगों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ना चाहते थे, ताकि सभी उनके अभियान में शामिल हो सके।
- )नमक कर को समाप्त करना महत्त्वपूर्ण माँग थी।
- )सफलतापूर्वक नमक यात्रा चलाकर व नमक कानून तोड़कर गाँधीजी ने औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार को अपने सत्याग्रह के तरीके से जवाब दिया |
Q23.)साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:-
- ) ब्रिटेन की टोरी सरकार ने भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में 1927 ई० में एक वैधानिक आयोग का गठन किया जिसे साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है। इस कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन थे।
- )इस आयोग के सभी सदस्य अँग्रेज थे उनका कार्य यही था कि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना एवं तदनुरूप सुझाव देना था।
- )भारत में इसका विरोध इसलिए हुआ कि इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य नहीं थे सारे सदस्य अँग्रेज थे। अतः 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ के नारों से किया गया। काँग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
- )पंजाब में लाला लाजपत राय ने इस आयोग के विरुद्ध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। पुलिस ने उन पर इतनी लाठियाँ बरसाई कि इस प्रहार से उनकी मृत्यु हो गई।