Jac Board class 10 science chapter 12 विधुत Hindi Medium | Jac Board Solutions Class 10 science | Class 10 science chapter 12 विधुत
Table of Contents
Toggleसभी अध्यायों के लिए विज्ञान NCERT पुस्तक समाधान Smart Classes के Teachers और Experts के द्वारा बिलकुल आपकी भाषा में तैयार किया गया है | ताकि आप समाधान को समझ सके और आसानी से याद कर सके |
jac board class 10 solution chapter 12 विधुत
Hindi Medium के लिए कक्षा 10 विज्ञान NCERT समाधान जो की NCERT पुस्तक समाधान नवीनतम CBSE, JACऔर NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है | NCERT पुस्तक समाधान हर साल Smart Classes के द्वारा Update किया जाते है | इसलिए कक्षा 10 के लिए NCERT पुस्तक समाधान भी Smart Classes के द्वारा वर्ष 2023 – 24 के लिए Update किया गया है |
chapter 12 विधुत
Hindi Medium के छात्रों के लिए Hindi में कक्षा 10 विज्ञान NCERT पुस्तक समाधान के सभी अध्याय नवीनतम CBSE, JAC और NCERT पाठ्यक्रम पर आधारित है |
Jac Board Class 10 Science Chapter 12 विधुत
Jac Board Class 10 Solution Chapter 12 विधुत
Tw Smart Classes , students, teachers, & tutors के requirments के मुताबिक सभी study materials तैयार करती है | हमारे द्वारा और भी study materials तैयार किये जाते है |
हमारे द्वारा तैयार किये गए ncert book solution कुछ इस तरह रहेगी >>
- नोट्स
- अभ्यास
- V.V.I MCQs ( )
अध्याय 12 : विधुत ( Electricity )
♦ विधुत परिपथ :- किसी विधुत धारा के सतत एंव बंद पथ को विधुत परिपथ कहते हैं |
♦ विधुत धारा:- विधुत आवेश की प्रवाह की दर को विधुत धारा कहते हैं |
I = Q/T
= IA = IC/IS
♦ ऐम्पेयर:- प्रति सेकंड कुलाॅम आवेश की प्रवाह की दर को ऐम्पेयर कहते हैं |
ऐम्पेयर = 1A = 1C/1S
मिलिऐम्पेयर = 1MA = 10 ¯³A
माइक्रोऐम्पेयर = 1μA = 10¯6 A
♦ विभवांतर:- एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक इकाई आवेश को ले जाने में जितना कार्य किया जाता है | उसे विभवांतर कहते हैं
| विभवांतर मापने वाले यंत्र को वोल्टमीटर कहते हैं |
♦ प्रतिरोध :- किसी चालक का वह गुण जो अपने में से प्रवाहित होने वाले आवेश के प्रवाह का विरोध करता है | उसे प्रतिरोध कहते हैं | इसे (R) से सूचित किया जाता है | इसका (SI) मात्रक OM (Ω) है |
◊ विधुत धारा प्रतिरोध का प्युतक्रयानुपाती होना है |
I∝1/R
♦ OM का नियम :- OM के नियम के अनुसार किसी धातु के तार में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा उस तार के सिरों के बिच के विभवांतर का अनुक्रमानुपाती होती है | इसके लिए तार का ताप समान रहना चाहिए |
V ∝ I
V = IR
♦ विधुत आवेश :- विधुत आवेश तत्वों का वह भौतिक गुण जो विधुत बल दर्शाता है | जब वह किसी विधुतीय चुंबकीय क्षेत्र में होता है | इसे (∅) से सूचित किया जाता है | आवेश दो प्रकार के होते हैं :- (1) धन आवेश (2) ऋण आवेश | इसका (SI) मात्रक कुलॉम (c) होता है | Q = IT
1C =6.25 × 1018 e
1C = 1.6 × 10 ¯19 C
♦ ऐमीटर :- परिपथों के विधुत धारा मापने के लिए जिस यंत्र का उपयोग किया जाता है उसे ऐमीटर कहते है | इसे श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है |
♦ परिवर्ती प्रतिरोधक :- स्रोत की वोल्टता में बिना कोई बदलाव किए परिपथ को विधुत धारा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाने वाला यंत्र परिवर्ती प्रतिरोधक कहलाता है |
♦ धारा नियंत्रक :- किसी विधुत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध परिवर्तित करने के लिए एक युक्ति का उपयोग किया जाता है | जिसे धारा नियंत्रक कहते हैं |
♦ वोल्ट :- एक कुलॉम आवेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में 1 जूल कार्य करता है तो उनके बिच विभवांतर 1 वोल्ट होगा |
1V = 1J/1C
◊ यदि किसी चालक के दोनों सिरों के मध्य विभवांतर 1V है और उससे 1A विधुत धारा प्रभावित होती है तब उस चालक का प्रतिरोधक 1 OM होता है |
I = V/R
◊ किसी चालक का प्रतिरोधक उसकी लंबाई का अनुक्रमानुपाती एंव उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का प्युत्क्रमानुपाती होता है |
R ∝ L
R ∝ 1 / A
R = ρ l/A
♦ प्रतिरोध :- किसी पदार्थ का वह गुण जो धारा के प्रवाह में रुकावट डालता है | उसे प्रतिरोध कहते है |
♦ श्रेणीक्रम संयोजन :- जब प्रतिरोधकोण को एक सिरे से दूसरा सिरा मिलाकर जोड़ा जाता है | तो उसे श्रेणीक्रम संयोजन कहते है |
माना तीन प्रतिरोधक R1 , R2, तथा R3 है | जिनका तुल्य प्रतिरोध Rs है |
. ‘ . Rs = R1 + R2 +R3
एक परिपथ बनाएं है जिसमे एक ऐमिटर वोल्टमिटर स्विच (कुंजी) तथा एक सैलों से बनी बैटरी जोड़ है और पुरे परिपथ में विधुत धरा (I) प्रवाहित हो रही है |परिपथ में तीन प्रतिरोधक R1, R2, तथा R3 है | जिनका तुल्य प्रतिरोध Rs है एंव वोल्टमिटर V1, V2, तथा V3 है जिनका तुल्य विभवांतर V है |
. ‘ . V = V1 + V2 + V3 . . . (1)
पुरे परिपथ में OM का नियम लागू करने पर →
{ V = IR }
V1 = IR1, V2 = IR2, V3 = IR3 . . . . . (2)
समीकरण (1) और (2) से :-
V = IR1 + IR2 + IR3
IR = IR1 + IR2 +IR3
R = R1 +R2 + R3 Proved.
♦ पर्श्वक्रम संयोजन :- जब प्रतिरोधकों को एक दुसरे के समांतर जोड़ा जाता है तो उसे पार्श्वक्रम संयोजन कहते हैं |
माना तीन प्रतिरोधक R1, R2, तथा R3 है | जिसका तुल्य प्रतिरोध Rp है |
एक परिपथ बनाएं हैं | जिसमें एक ऐमिटर, वोल्टमिटर स्विच (कुंजी) तथा एक सैलों से अबनी बैटरी जोड़े हैं एंव पुरे परिपथ का कुल विभवांतर (V) है तथा तीन प्रतिरोधक R1, R2, तथा R3 है| जिसका तुल्य प्रतिरोध Rp है | परिपथ में विधुत धारा I1 , I2 तथा I3 प्रवाहित हो रही है जिसका तुल्य विधुत धारा (I) है |
. ‘ . I = I1 +I2 +I3 . . . . . (1)
पुरे परिपथ में OM का नियम लागु करने पर →
{ I = V/R }
I1 = V/R1, I2 =V/R2, I3 =V/R3 . . . . (2)
समीकरण (1) और (2) से :-
I = V/R1 + V/R2 + V/R3
V/R = V/R1 + V/R2 + V/R3 [ ‘ .’ I = V/R ]
V( 1/V) = V( 1/R1 + 1/R2 + 1/R3 )
1/R = 1/R1 + 1/R2 + 1/R3 Proved.
Q1.)विधुत धारा को परिभाषित करें। इसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर:- विधुत आवेश के प्रवाह की दर अर्थात एकांक समय में प्रवाहित होने वाले विधुत आवेश के परिमाण को विधुत धारा कहते हैं।
1 = Q/t इसका SI मात्रक ऐम्पियर है।
Q2.) विधुत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखें।
उत्तर:- विधुत धारा का मात्रक ऐम्पियर है। यदि परिपथ के किसी बिंदु से प्रति सेकंड एक कूलॉम आवेश संचरित हो रहा हो तो उस धारा को एक ऐम्पियर कहते हैं।
1A = 1C/1S
Q3.) किसी विधुत बल्ब के तंतु से 0.5 A विधुत धारा 10 मिनट तक प्रवाहित होती है | विधुत परिपथ से प्रवाहित विधुत आवेश का परिणाम ज्ञात कीजिए ?
उत्तर:- I = 0.5 A, t = 10min = 600 second
विधु आवेश का परिणाम = Q = I×t
0.5 × 600 = 300 c
Q4.) 12 V विभवांतर के दो बिन्दुओं के बिच 2c आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है ?
उत्तर:- V = 12v, Q = 2c
आवेश को ले जाने में किया गया कार्य . . . .
V = V × Q
W = 12 × 2
= 24 J
Q5.) प्रतिरोध क्या है ? किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:- प्रतिरोध पदार्थ का वह गुण है जो धारा के प्रवाह में रुकावट डालता है। इसका SI मात्रक OM है।
किसी चालक का प्रतिरोध निम्नांकित बातों पर निर्भर करता है-
- चालक की लंबाई,
- उसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल,
- उसके पदार्थ की प्रकृति पर।
Q6.) विधुत लैपों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर:- इसके निम्नांकित कारण है-
- उच्च प्रतिरोधकता (5.2×10¯8),
- अधिक प्रकाश,
- उच्च गलनांक (2700°C)।
Q7.) श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर विधुत युक्तियों को पार्श्वक्रम
में संयोजित करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर:-
- पार्श्वक्रम में संयोजित विधुत उपकरण में से कोई उपकरण फ्यूज हो जाने पर अन्य उपकरणों का कार्य इससे बाधित नहीं होता है।
- प्रत्येक उपकरण अपनी आवश्यकता के अनुसार धारा ग्रहण करते हैं, फलस्वरूप वे अच्छी तरह से कार्य करते हैं।
Q8.) घरेलू विधुत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
उत्तर:- श्रेणीक्रम में समान विधुत धारा, सभी उपकरणों में प्रवाहित होती है। श्रेणीक्रम से अधिक उपकरण लगाने से धीरे-धीरे धारा का मान घटता जाता है और कुल प्रतिरोध बहुत अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में प्रत्येक उपकरण के सिरों पर विभवांतर भिन्न होता है। श्रेणीक्रम में जब परिपथ का एक अवयव कार्य करना बंद कर देता है, तो परिपथ टूट जाता है और अन्य कोई अवयव कार्य नहीं कर पाता है।
Q9.) फ्यूज क्या है ? इसकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:- फ्यूज एक सुरक्षा की युक्ति है। यह ऐसे तार का टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और उसकी गलनांक बहुत कम होता है। इसे परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
विशेषताएँ:- यह विधुत परिपथ को अतिभारण और लघुपथन के कारण नष्ट होने से बचाता है।
Q10.) विधुत शक्ति किसे कहते हैं ? इसका SI मात्रक त्रिक लिखें।
उत्तर:- विधुत ऊर्जा जिस दर से क्षय अथवा व्यय होती है उसे विधुत शक्ति कहते हैं।
P = W/t = I2R
इसका SI मात्रक वाट होता है |
Q11.) विधुत आवेश का SI मात्रक लिखें | एक इलेक्ट्रान पर कितना विधुत आवेश होता है ?
उत्तर:- विधुत विद्युत आवेश का SI मात्रक कूलाम (C) होता है। एक इलेक्ट्रॉन पर 1.6 × 10 ¯19 कूलॉम होता है।
Q12.) विधुत धारा का SI मात्रक लिखें। किसी चालक में विद्युत धारा मापने के लिए किस उपकरण का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:- विधुत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर है। विद्युत धारा मापने के लिए ऐमीटर का प्रयोग किया जाता है।
Q13.) प्रतिरोध की SI मात्रक लिखें। किसी तार का प्रतिरोध उसकी लंबाई पर निर्भर करता है। हाँ या नहीं।
उत्तर:- प्रतिरोध की SI मात्रक ओम है।
हाँ, क्योंकि चालक की लंबाई बढ़ने पर उसका प्रतिरोध बढ़ता है।
Q14.) विभवांतर की SI इकाई क्या है ? उस उपकरण का नाम बताएँ जो चालक के टर्मिनल के बीच विभवान्तर को बनाए रखने में मदद करता है।
उत्तर:- विभवांतर की SI मात्रक OM है |
सेल या बैटरी टर्मिनल के बीच विभवांतर को बनाए रखने में मदद करता है।
Q15.) जूल का उष्मीय नियम को लिखें। सूत्र Q=12 Rt को स्थापित करें।
उत्तर:- किसी प्रतिरोधक में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा-
- दिए गए प्रतिरोधक में प्रवाहित होने वाली विधुत धारा के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात् Q ∝ R .
- दी गयी विधुत धारा के लिए प्रतिरोधक के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात् Q ∝ R.
- उस समय के अनुक्रमानुपाती होती है। अर्थात् Q ∝ t .
विभव की परिभाषा से स्पष्ट है, यदि किसी चालक के सिरों पर का विभवान्तर V वोल्ट हो, तो एक कूलॉम आवेश को एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाने में किया गया कार्य W = V × 1J
इसी तरह यदि Q कूलॉम आवेश को एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाने में किया गया कार्य W = V× QJ होगा।
. ‘. W = IR × Q
= IR×It
. ‘ . W = I²Rt
( ‘ . ‘ V = IR )
( ‘ . ‘ Q = It )
यदि किया गया सम्पूर्ण कार्य ऊष्मा Q के रूप में परिणत हो और इसे Q से व्यक्त किया जाय तो, Q = I² Rt.
Q16.) 100 W के 5 विधुत बल्ब प्रतिदिन 6 घंटा जलते हैं 120 दिन में कितनी विधुत ऊर्जा खर्च होती है ?
उत्तर:-
बल्ब = 5
बल्ब का वाट = 100W
बल्बों का कुल वाट = 100 × 5 = 500 W
एक दिन में उपभोक्त विधुत ऊर्जा = 500 × 6h = 300 Wh
= 300Wh / 1000
. ‘ . 20 दिन में उपयोक्त विधुत ऊर्जा = 20 × 300 Wh = 60000 Wh
= 60000 Wh / 1000
= 60 यूनिट Ans.